
वहीं चाटुकारिता की हद पार करते हुए पीएचई विभाग के एक इंजीनियर ने विधायक के बचाव में कूद पड़े और यहां तक कह गए कि एफआईआर करवाना हो तो मेरे खिलाफ कराएं, विधायकजी निर्दोष हैं। इंजीनियर को नहीं मालूम था कि शहरी क्षेत्र में बोरवेल खनन की अनुमति पीएचई विभाग नहीं बल्कि नगरपालिका देती है। बोरवेल का काम रात के अंधेरे में विधायक के निवास पर बिना अनुमति के चल रहा था।
मंगलसिंग धुर्वे बीजेपी के वही विधायक हैं जिन्हें साल 2016 में हुए घोड़ाडोंगरी विधानसभा उपचुनाव में जिताने के लिए खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान को 10 दिनों तक एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा था। अगर यही काम कोई आम आदमी करता तो प्रशासन उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर चुका होता लेकिन यहां तो मामला सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक का था तब काहे का कानून और काहे की एफआईआर।