
शिवराज सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, सीएम शिवराज इस बात से खासे नाराज थे कि विभाग ने इस संबंध में अपना फैसला सार्वजनिक करने से पहले उन्हें इसकी कोई सूचना नहीं दी। बता दें कि मध्य प्रदेश की एक उच्चस्तरीय छानबीन समिति ने बुधवार को बीजेपी सांसद ज्योति धुर्वे की अनुसूचित जनजाति प्रमाणपत्र को निरस्त कर दिया। अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के लिए आरक्षित बैतूल सीट से साल 2009 से सांसद रहीं धुर्वे ने अपने चुनावी हलफनामे में अपनी जाति गोंड बताई थी। समिति की जांच में पाया गया कि उन्होंने जाति को लेकर हलफनामे में झूठ बोला है।
बीजेपी सांसद के खिलाफ बैतूल जिले के वकील शंकर पेंदाम ने 30 मई 2009 को ही शिकायत की थी। उन्होंने दावा किया था कि ज्योति को जो गोंड जाति का प्रमाण पत्र जारी हुआ है, वह तथ्यों पर आधारित नहीं है। शिकायतकर्ता ने दावा किया था कि जाति प्रमाण पत्र लेते वक्त ज्योति ने अपने दावे के लिए उचित दस्तावेज पेश नहीं किए थे कि वह गोंड जाति की हैं।
पेंदाम की शिकायत के बाद उप पुलिस अधीक्षक SC/ST कल्याण विभाग द्वारा इस मामले में जांच की गई। यह जांच रिपोर्ट 1 अप्रैल, 2017 को पेश की गई और इसमें पाया गया कि ज्योति द्वारा पेश किए गए दस्तावेज उसके इन दावों से मेल नहीं खाते हैं कि वह गोंड जाति की है। फर्जी जाति प्रमाण पत्र पेश करने के चलते ज्योति धुर्वे सांसद सदस्यता अब खतरे में दिख रही है। सीएम शिवराज ने हालात से निपटने और आगे की रणनीति पर चर्चा के लिए धुर्वे को भोपाल बुलाया है। वहीं विपक्षी कांग्रेस धुर्वे के तत्काल इस्तीफे की मांग कर रहा है।