भोपाल। विगत वर्ष दिनाँक 30-04-2016 को मान उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा अपने एक ऐतिहासिक निर्णय में "पदोन्नति में आरक्षण" के प्रावधानों को संविधान के विरूद्द पाते हुए "म॰प्र॰ पदोन्नति नियम 2002" को असंवैधानिक मानते हुए अपास्त कर दिया गया था साथ ही आदेश दिये थे कि इन नियमों के आधार पर गलत पदोन्नति पाये सभी अनु.जा./ अनु.ज.जा. के शासकीय कर्मियों को पदावनत किया जावे. लेकिन इस निर्णय को म॰प्र॰ सरकार लागू न करते हुए सर्वोच्च न्यायालय की शरण में चली गई.
आज बहुसंख्यक वर्ग वर्षों की तपष्या के बाद मिले इस न्याय को फलीभूत होते देखने से भले ही वंचित है लेकिन निराश नहीं है. पूरे प्रदेश में 'सपाक्स' के आव्हान पर आज सामान्य पिछडा और अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकारी इस न्याय के निर्णय को मनाने के लिये "न्याय दिवस" मना रहे हैं.
न्यायालय के निर्णय के बाद बहुसंख्यक वर्ग आशान्वित था कि उनके ऊपर काँग्रेस सरकार के समय बने इन काले कानूनों से वर्षों तक हुये अत्याचार और योग्यता की अनदेखी अब समाप्त होगी. यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि निर्णय के बावजूद बहुसँक्ख्यक वर्ग को उनके न्यायोचित हकॉ से दूर रखने वर्तमान "लोकप्रिय" सरकार ने भेदभाव की पुरानी सरकार की नीति अपनाई और एक वर्ग विशेष के अनुचित हितों का समर्थन किया. "सपाक्स" इस अन्याय के विरोध में लगातार समाज को जागरूक कर रहा है. विगत एक वर्ष में जिस तीव्रता से संस्था से शासकीय कर्मी जुड़े और जिस तरह सामाजिक समर्थन संस्था को प्राप्त हुआ उससे यह स्पष्ट है कि इस अन्याय के प्रति समाज अब जागरूक हो चुका है.
विगत एक वर्ष में पूरे प्रदेश में संस्था द्वारा विभिन्न गतिविढिया प्रदेश स्तर पर कर विरोध प्रदर्शन किया गया और हम सर्वोच्च न्यायालय से शीघ्र अपने पक्ष में निर्णय के लिये आशान्वित थे. लेकिन सरकार और अन्य द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में सदैव सिर्फ और सिर्फ निर्णय को टालने में ही लाखों रुपये फूँक दिये गये. सरकार लगातार अपने बहुसंख्यक वर्ग के कर्मियों से भेदभाव पूर्ण व्यवहार करते हुए अत्याचार कर रही है. इस अन्यायपूर्ण कार्यवाही से जहाँ एक ओर वर्तमान कार्यरत कर्मियों को उनके न्यायोचित अधिकार अप्राप्त हैं वहीँ दूसरी ओर हमारे समाज का युवा वर्ग सरकारी नौकरियों से वंचित किया जा रहा है.
म॰प्र॰ सरकार कि इन पक्षपातपूर्ण नीतियों से पूरा प्रशासनिक तंत्र चरमरा रहा है. लगातार कर्मियों में असंतोष उत्पन्न हो रहा है और एक के बाद एक शासकीय कर्मियों के वर्ग विरोध स्वरूप हड़ताल पर जा रहे हैं जिससे सार्वजनिक सेवायें बुरी तरह प्रभावित हैं. सरकार योग्यता का हनन कर अयोग्य को प्रश्रय देने कि हठधर्मिता पर अडिग है. सर्वोच्च न्यायालय अनेकों निर्णय पूर्व में दे चुका है और कई राज्यों के ऐसे ही पदोन्नति नियम निरस्त कर चुका है. यही कारण है कि सरकार को नतीजे मालूम हैं और वह करोड़ों रुपये मात्र इसलिये व्यय करने का प्रावधान कर चुकी है कि प्रकरण में किसी भी तरह फैसले को लटकाया रखा जावे.
सरकार के मुखिया एकाधिक बार यह कह चुके हैं कि वे किसी भी हालात में वर्तमान व्यवस्था नहीं बदलने देंगे. पदोन्नति में आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था ही जारी रखने हेतु सरकार नई समिति भी गठित कर चुकी हैं. वे खुली चुनौती भी बार बार देकर बहुसंख्यक वर्ग का निरंतर अपमान करते हैं. सभी जन सामान्य को यह समझना आवश्यक है संविधान की आड़ में वह कार्य सरकार कर रही है जिससे वर्ग संघर्ष की स्थितियां निर्मित हो रहीं हैं. संस्था सभी से अपील करती है कि जागरूकता से अन्याय का विरोध किया जावे, यह अत्यंत आवश्यक है.
इस कारण आज प्रदेश भर मे "न्याय दिवस" मनाया
भोपाल मे नर्मदा मंदिर भवन मे न्याय दिवस मनाया गया अंत मे एक रेली निकाली जोकि सेकंड स्टाप स्थिति दुर्गा मंदिर तक गई जहाँ प्रार्थना की गाई कि मुख्यमंत्री को सदबुद्धि दे सपाक्स के आज न्याय दिवस पर श्री आंनद सिह कुशवाहा अध्यक्ष, के एस तोमर ,अजय जैन ,आर बी राय, अनुराग श्रीवास्तव, राजीव खरे सचिव और बङी संख्या में अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे