राकेश दुबे@प्रतिदिन। एक बार फिर सारी मर्यादा ताक पर रखते हुए दो भारतीय सैनिकों के शवों को क्षत-विक्षत कर दिया। पिछले छह महीनों में यह तीसरी घटना है जब पाकिस्तानी सेना ने धोखे से भारतीय सैनिकों पर वार किया और फिर उनके शवों के सिर धड़ से अलग कर दिए। पिछले एक साल से वह नियंत्रण रेखा पर लगातार संघर्ष विराम का उल्लंघन करती आ रही है, पर सैनिकों के सिर काटने की घटना उसकी बर्बता का चरम है।
युद्ध के अपने नियम होते हैं। दो देशों के बीच दुश्मनी का मतलब यह नहीं होता कि उनकी सेनाएं किसी अपराधी गिरोह की तरह बर्ताव करने लगें। जिनेवा समझौते में स्पष्ट है कि युद्ध के दौरान भी एक देश के सैनिक को दूसरे देश के मारे गए, घायल या फिर बंदी बनाए गए सैनिक के साथ कैसा सलूक करना चाहिए, युद्ध के दौरान किन लोगों पर हमला नहीं करना चाहिए आदि।
पाकिस्तान की सेना उन नियम-कायदों और मर्यादाओं को भुला चुकी है तो उसकी बड़ी वजह यह है कि आतंकवादियों को शह देते-देते वह खुद भी उनका आचरण सीख गई है। घात लगा कर या धोखे से हमला सेना के लोग नहीं करते, अपराधी या आतंकवादी करते हैं। फिर एक सैनिक दुश्मन देश के मारे गए सैनिक का गला काट कर शव क्षत-विक्षत कर दे, यह न तो मानवीय तकाजा है और न एक सैनिक का धर्म।
अब दुनिया से यह छिपा नहीं है कि पाकिस्तान किस हद तक आतंकवादी संगठनों की मदद करता है। खासकर कश्मीर में अस्थिरता पैदा करने के लिए वहां के अलगाववादी संगठनों को लगातार उकसाता और सीमा पार से आतंकी घुसपैठ कराता रहता है। इसके लिए वहां की खुफिया एजेंसी भी लगातार काम करती है। जब से भारत के प्रयासों के चलते वह एक तरह से अलग-थलग पड़ता गया है, उसकी बौखलाहट बढ़ती गई है। पाकिस्तान की ऐसी नापाक हरकतों को रोकने के लिए भारत को ठोस रणनीतिक कदम उठाने ही पड़ेंगे|
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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