
इसका मतलब है कि किसी जिले में भूमि का जो बाजार भाव होगा, वही मुआवजा मिलेगा। हालांकि यह मुआवजा किसी भी हाल में पड़त भूमि के लिए प्रति एकड़ छह लाख, एक फसली सिंचित भूमि के लिए 8 लाख और दो फसली सिंचित भूमि के लिए 10 लाख से कम नहीं होगा।
राज्य में चल रही कुछ परियोजनाओं में मुआवजा वितरण को लेकर उलझन की स्थिति बनी थी। छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, पंजाब समेत कुछ राज्यों ने केंद्र सरकार से नेशनल हाइवे के लिए भूमि अधिग्रहण पर मुआवजा निर्धारण पर मार्गदर्शन मांगा था।
केंद्र सरकार ने 8 मई 2017 को एक पत्र भेजकर मामले का समाधान किया है। इसके आधार पर राजस्व विभाग की प्रमुख सचिव रेणू पिल्लै ने सभी कलेक्टरों को एक परिपत्र जारी किया है।
केंद्रीय ग्रामीण विकास और भू संसाधन मंत्रालय ने कहा है कि अगर भू अधिग्रहण किसी एक राज्य में किया जा रहा है तो भूमि का मुआवजा संबंधित राज्य द्वारा निर्धारित मुआवजे के मुताबिक होगा। अगर किसी परियोजना में एक से ज्यादा राज्यों की भूमि का उपयोग किया जाना है तो मुआवजा केंद्र के हिसाब से तय होगा।
राज्यों द्वारा भू अधिग्रहण करने पर मुआवजे में वही गुणांक प्रयुक्त होगा, जो राज्य ने निर्धारित किया है। छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश सरकारों ने पूछा था कि क्या भू अधिग्रहण कानून 2013 के मुताबिक रेल परियोजनाओं और हाइवे परियोजनाओं में मुआवजे का गुणांक दो करना होगा।
इसके जवाब में केंद्र सरकार ने यह स्पष्टीकरण दिया है। प्रदेश में केंद्रीय परिजयोनाओं सहित किसी भी परियोजना में भूमि का मुआवजा बाजार भाव के एक के गुणांक से निर्धारित होगा। यानी जो बाजार भाव है वही मुआवजा होगा। हालांकि कानून के मुताबिक मुआवजा 6, 8 और 10 लाख प्रति एकड़ से कम नहीं हो सकता।
केंद्रीय परियोजनाओं में भूमि के मुआवजे को लेकर संशय था इसलिए केंद्र सरकार से सुझाव मांगा गया था। हमारे यहां मुआवजा बाजार भाव के एक के गुणांक में निर्धारित है। इसी आधार पर मुआवजा तय होगा।
पी निहलानी, संयुक्त सचिव, राजस्व विभाग, छत्तीसगढ़