भोपाल। पाकिस्तान के साथ हुआ करगिल युद्ध शायद हर किसी को याद होगा। इस युद्ध में भारत के कई जवान शहीद हुए परंतु कुछ ऐसे भी थे जो पाकिस्तानी बम और गोलियों से बचते हुए पहाड़ों पर चढ़े, चोटियों पर पहुंचे और पाकिस्तानियों को मार भगाया। ग्वालियर निवासी हनुमान सिंह तोमर भी ऐसा ही एक जवान था। वो सेना में सूबेदार था। करगिल चोटी को जिस टीम ने फतह किया, हनुमान सिंह भी उसमें शामिल था। जिस हनुमान सिंह को पाकिस्तान की पूरी फौज नहीं मार पाई, बीती रात उसी के बेटे ने उसकी हत्या कर दी।
मंगलवार की रात को दीनदयाल नगर में इंस्पेक्टर हनुमान सिंह तोमर की उनके बड़े बेटे अजय सिंह तोमर ने गोली मारकर हत्या कर दी। तोमर सेना से रिटायर होने के बाद मप्र पुलिस की सेवा कर रहे थे। वो धार में पदस्थ थे और हाल ही में मंडला ट्रांसफर हुआ था। मप्र पुलिस में आने से पहले तोमर भारतीय सेना में जूनियर कमीशंड अफसर (जेसीओ) सूबेदार थे। वहां से रिटायर होने के बाद वे पुलिस की सेवा में आए और कुछ साल पहले ही वे प्रमोशन पाकर इंस्पेक्टर बने थे।
1999 में जब पाकिस्तान से कारगिल युद्ध हुआ तो तोमर बार्डर पर थे और उस यूनिट में शामिल थे, जिसने टाइगर हिल पर कब्जा जमाया था। उनके परिजन बताते हैं कि तोमर ट्रेंड कमांडो थे और भारतीय सेना में रहते हुए कई ऑपरेशन में हिस्सा लिया, लेकिन उनके बेटे ने ही जान ले ली ।
गोली मारकर फरार हुआ अजय
अपने पिता की हत्या करने के बाद अजय गायब हो गया। पुलिस इस मामले में उसकी तलाश करते हुए जांच कर रही है और हत्या भी कई सवालों के घेरे में हैं। पुलिस के मुताबिक छोटे बेटे भानु ने बताया कि अजय गोली मारकर भाग गया, लेकिन जिस कमरे में तोमर का शव मिला, वह अंदर से बंद था। यह घटना रात दस बजे का है, लेकिन परिजनों ने पुलिस को ढाई घंटे बाद, यानि 12.30 पर सूचना दी। इससे कई सवाल उठ रहे हैं।