सेक्स रैकेट मामले में भाजपा की गुटबाजी शुरू, दिग्गज को फंसाने की साजिश

Bhopal Samachar
शैलेन्द्र गुप्ता/भोपाल। राजधानी में पिछले दिनों पकड़े गए आॅनलाइन सेक्स रैकेट मामले में भाजपा की गुटबाजी शुरू हो गई है। साइबर पुलिस ने इस मामले में भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के मीडिया प्रभारी नीरज शाक्य को भी अरेस्ट किया है। अब नीरज शाक्य के सहारे भाजपा के उस दिग्गज नेता को बदनाम करने का षडयंत्र रचा जा रहा है जिसकी सिफारिश पर नीरज शाक्य की नियुक्ति हुई थी। 

सोमवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने अनुसूचित मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सूरज कैरो को नोटिस दिया है। इसमें पूछा गया है कि शाक्य की नियुक्ति किसकी सिफारिश पर की गई? बिना जांच पड़ताल के नियुक्ति कैसे हो गई? इसके लिए क्यों न आप पर कार्रवाई की जाए? इस पर सूरज कैरो को सात दिन में स्पष्टीकरण देने को कहा गया है।

तो इसमें गुटबाजी क्या है
इस तरह का नोटिस जारी करके नंदकुमार सिंह चौहान उस दिग्गज नेता का नाम लिखित में हासिल करना चाहते हैं जिसकी सिफारिश पर नीरज शाक्य की नियुक्ति हुई। जब कैरो का लिखित जवाब आएगा तो स्वभाविक है उस दिग्गज नेता का नाम भी सामने आ जाएगा। अजीब यह है कि इससे पहले भी भाजपा के कई पदाधिकारी हत्या, रेप और यौनशोषण, सट्टा और सेक्स रैकेट के मामलों में पकड़े गए हैं। इनमें से कुछ को सस्पेंड किया गया, कुछ का बचाव भी किया गया परंतु कभी किसी मामले में इस तरह का नोटिस जारी नहीं किया गया जैसा कि इस मामले में किया गया। स्पष्ट है कि नंदकुमार सिंह चौहान का निशाना कोई और है। जिसका नाम इस बार मीडिया ट्रायल के दौरान नहीं आ पाया। 

क्या नीरज शाक्य सेक्स रैकेट का संचालक है
भोपाल समाचार से बात करते हुए एसपी साइबर पुलिस ने बताया कि नीरज शाक्य सेक्स रैकेट का संचालक या मास्टरमाइंड नहीं है। इस सेक्स रैकेट का मास्टर माइंड सतना निवासी सुभाष द्विवेदी है जो फरार चल रहा है लेकिन जिस समय पुलिस ने छापामारी की नीरज शाक्य वहां मौजूद था। इसलिए उसे भी रैकेट का सदस्य माना गया। बता दें कि पकड़ी गई लड़कियों के बयानों में इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि उनमें से किसी को नीरज शाक्य ने बुलाया था या वो नीरज शाक्य को जानतीं थीं। यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि नीरज शाक्य बतौर ग्राहक वहां मौजूद था। केवल इतना तय हुआ है कि नीरज शाक्य मौके पर मौजूद था। 

पाकिस्तानी जासूस के नेता को क्यों बचाया
कुछ दिनों पहले भोपाल में भाजपा के एक पदाधिकारी ध्रुव सक्सेना को पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने ना तो ऐसा कोई नोटिस जारी किया ना ही ध्रुव सक्सेना की सिफारिश करने वाले दिग्गज नेता के खिलाफ कोई कार्रवाई की। सवाल यह है कि संगठन का दोहरा चरित्र क्यों सामने आ रहा है। क्या भाजपा के दिग्गजों में कोल्डवार चल रही है। ध्रुव सक्सेना की सिफारिश करने वाले को बचाना जरूरी था। 

कैरो खुद भ्रष्टाचार के आरोपी हैं, उनकी नियुक्ति किसने की
भाजपा के एससी मोर्चा के अध्यक्ष सूरज कैरो खुद भी भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे हुए हैं। कैरो पर 2016 में इंदौर की जिला अदालत ने मेघदूत उपवन घोटाले के मामले में आरोप तय किए थे। कैरो पर आरोप है कि समायोजन समिति के संयोजक पद का दुरुपयोग करते हुए उन्होंने फर्जी दस्तावेज के आधार पर ठेकेदार को फायदा पहुंचाते हुए शासन को 33.60 लाख रुपए से ज्यादा का नुकसान पहुंचाया। सवाल यह है कि ऐसे भ्रष्टाचार के आरोपी नेता की नियुक्ति किसने की। 

क्या है मामले का असली सच
सूत्रों का कहना है कि पुलिस केवल एक उन लोगों को पकड़ने गई थी जो सेक्स रैकेट के लिए बेवसाइट संचालित कर रहे थे। पुलिस जब वहां पहुंची तो मौके पर लड़कियां भी मिल गईं और सेक्स रैकेट का भांडाफोड़ हुआ। पुलिस वहां मौजूद सभी लोगों को अपने साथ ले आई। सूत्रों का दावा है कि अभी पूछताछ चल ही रही थी कि ऊपर से मैसेज आया। फटाफट मामला दर्ज किया गया और मीडिया में रिलीज भी किया गया। दरअसल, नीरज शाक्य के बहाने भाजपा के कुछ दिग्गज, भाजपा के एक अन्य दिग्गज को फंसाना चाहते थे। वो चाहते थे कि उस व्यक्ति की खासी बदनामी हो जो नीरज शाक्य को भाजपा में आगे बढ़ा रहा है लेकिन ऐसा हुआ नहीं। मीडिया ट्रायल में नीरज शाक्य को केवल भाजपा नेता बताया गया। जो फोटो छपे उनमें भी नीरज शाक्य सीएम शिवराज सिंह के साथ खड़ा नजर आ रहा है। अत: इस तरह का नोटिस जारी किया गया ताकि इस एफआईआर के पीछे का टारगेट पूरा हो सके। 

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