सहारनपुर। यहां शब्बीरपुर हिंसा को लेकर धरना दे रहे भीम आर्मी के वर्कर्स और पुलिस के बीच मंगलवार को हिंसक झड़प हो गई। उपद्रवियों ने जिले के चार चौराहों पर जाम लगा दिया और जमकर बवाल काटा। मामला इतना बढ़ गया कि भीम आर्मी के वर्कर्स ने पुलिस के साथ गाली-गलौज की। दोनों आेर से जमकर पथराव और फायरिंग हुई। उपद्रवियों ने दो बाइकों को आग के हवाले कर दिया। मौके पर पहुंचे सीओ सिटी को भागकर अपनी जान बचानी पड़ी।
फिलहाल एसएसपी समेत दूसरे आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं और स्थिति को कंट्राेल करने में जुटें हैं। बता दें, बीते दिनों परशुराम जयंती के जुलूस को लेकर दो समुदायों के बीच बवाल हुआ था। इसमें कई लोग घायल हो गए थे और उसी बवाल ने आज फिर बड़ा रूप ले लिया।
गांधी पार्क में मंगलवार को भीम आर्मी के बैनर तले बड़ी संख्या में दलित इकट्ठा हुए। उन्होंने शब्बीरपुर के पीड़ितों को मुआवजा दिलाने की मांग को लेकर धरना शुरू कर दिया। इसी बीच मौके पर पुलिस पहुंची ने बिना परमिशन के धरना देने पर वहां से आंदोलनकारियों को उठाने की कोशिश की। इसी बात पर आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच गाली-गलौज और पथराव शुरू हो गया। आंदोलनकारी आगे-आगे और पुलिस उनके पीछे-पीछे दौड़ती रही। कभी घंटाघर तो कभी गोविंद नगर तो कहीं चिलकाना रोड पर इन वर्कर्स ने पुलिस पर पथराव किया।
चिलकाना रोड पर एक कूड़े के ढेर में आग लगाने के बाद आंदोलनकारी हाथों में तमंचे लेकर पुलिस के सामने आ गए और फायरिंग शुरू कर दी। इस दौरान अपनी जान बचाने के लिए पुलिसकर्मी वहां से भाग खड़े हुए। दलितों ने चिलकाना रोड पर जाम लगा दिया।
दो बाइक में लगाई आग
इस बीच मल्हीपुर रोड पर दलितों ने दो बाइक में आग लगा दी। पुलिस मौके पर पहुंची तो पुलिस पर पथराव किया गया। यहां भी दलितों ने जाम लगा दिया। फिलहाल इन स्थानों पर तनाव के हालात हैं। रामपुर मनिहारन के हालात भी ऐसे हैं।
क्या है पूरा मामला?
पिछले शुक्रवार को बड़गांव थानाक्षेत्र के शब्बीरपुर और महेशपुर गांव में परशुराम जयंती के जुलूस को लेकर बवाल हो गया था। जुलूस पर दलितों ने पथराव कर दिया था, जिससे तनाव बढ़ गया और ठाकुर पक्ष के लोगों ने दलितों के घरों में आग लगा दी। इस हिंसा के दौरान हुए पथराव में सुमित पुत्र ब्रह्मसिंह नाम के शख्स की मौत हो गई थी, जबकि 6 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इसी घटना को लेकर एक समुदाय मंगलवार को गांधी पार्क में इकट्ठा हुआ, जिसे प्रशासन ने परमिशन नहीं दी थी।
20 अप्रैल को भी हुआ था बवाल
बता दें, बीते 20 अप्रैल को भी बिना प्रशासन के परमिशन के बीजेपी सांसद राघव लखनपाल शर्मा ने अंबेडकर शोभायात्रा निकाली थी। इसके बाद गांव के एक समुदाय के लोगों ने पथराव करना शुरू कर दिया था। सूचना पर मौके पर पहुंचे डीएम शफकत कमाल और एसएसपी लव कुमार ने किसी तरह मामले को संभाला था। पथराव के दौरान लोगों ने कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया था।
क्या है भीम आर्मी?
भीम आर्मी का गठन 2013 में हुआ था। इसके चीफ एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद हैं। भीम आर्मी का मकसद दलितों पर होने वाले उत्पीड़न को रोकना है। सहारनपुर में करीब 700 गांव हैं। हर गांव में भीम आर्मी के 8 से 10 लड़के हैं। आर्मी में सारे 36 साल से कम उम्र के युवा हैं। ये सभी अपने सिर पर नीला कपड़ा बांधते हैं। ये इनकी वेशभूषा का हिस्सा है। बीते यूपी चुनाव में मायावती की जो रैलियां हुई थीं, उसमें भीम आर्मी के लोग नंगे बदन जाते थे। उनके शरीर पर जय भीम-जय भारत लिखा होता था। ये लोग अपने को इंडिविजुअल संगठन मानते हैं। हालांकि, कुछ लोगों का कहना है कि इनका जुड़ाव बसपा की ओर है।