भोपाल/शिवपुरी। मथुरा कांड तो याद ही होगा आपको। रामवृक्ष नाम के एक साधू ने जवाहर बाग में विरोध प्रदर्शन करने के लिए अनुमति मांगी और फिर उस पर कब्जा कर लिया। रामवृक्ष यादव ने वहां अपनी फौज तैयार कर ली। आमआदमी और प्रशासनिक अमले को वहां अंदर घुसने की अनुमति नहीं थी। हथियारबंद लोग 24 घंटे पहरा देते थे। हमला हुआ और कई लोग मारे गए। मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में भी ऐसा ही एक मामला सुलग रहा है। यहां आश्रम के नाम पर करीब 100 बीघा सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया गया है। चारों ओर बाउंड्रीवॉल तनवा दी गई है। आम आदमी को अंदर जाने की अनुमति नहीं है। हथियारबंद गार्ड पहरे पर बिठा दिए गए हैं। मथुरा के जवाहर बाग की तरह इस आश्रम की शिकायतें भी शुरू हो गईं हैं। प्रशासन ने कार्रवाई भी शुरू कर दी है और आश्रम की ओर से उग्र विरोध की धमकी दी गई है।
मामला ग्वालियर संभाग के जिला शिवपुरी में स्थित ग्राम बिनेगा आश्रम का है। वर्षों पहले इस आश्रम के पास जंगल में नन्हे महाराज नाम के एक साधू रहा करते थे। वनविभाग ने नेशनल पार्क से कब्जे हटाए तो नन्हे महाराज को भी बेदखल कर दिया गया। उन्होंने पास ही स्थित एक शिव मंदिर में डेरा डाला। आसपास रहने वाले ग्रामीणों ने उसकी सेवा की। उन्होंने भी ग्रामीणों की भलाई में सारा जीवन लगा लिया। उनके समाधि लेने के बाद यह आश्रम वज्रानंद नामक एक साधू के प्रबंधन में आ गया।
19 अप्रैल 2017 को सहरिया क्रांति नाम के एक सामाजिक संगठन ने इस बारे में शिकायत दर्ज कराई। सहरिया क्रांति के कार्यकर्ताओं ने बताया कि आश्रम के आसपास की जमीन पर ग्रामीणों के पट्टे थे परंतु वज्रानंद महाराज ने सरकारी अधिकारियों से सांठगांठ करके उनके पट्टे निरस्त करवा दिए। कुछ समय बाद वज्रानंद महाराज ने सरकार से एक डील की। उन्होंने अपनी निजी जमीन सरकार को दी और उसके बदले आश्रम के आसपास की जमीन अपने नाम करा ली।
5 मई 15 को वन विभाग की कक्ष क्रमांक पी- 969 की भूमि में से 7.19 हेक्टर वन भूमि का सामुदायिक पट्टा कराया गया। सहरिया क्रांति का आरोप है कि इस प्रक्रिया में तत्कालीन कलेक्टर राजीव दुबे ने विशेष रुचि ली और नियमविरुद्ध पट्टा कर दिया गया। पट्टा वज्रानंद एवं ग्रामसभा के नाम से किया गया जबकि नियमानुसार सामुदायिक पट्टा किसी व्यक्ति के नाम से नहीं हो सकता।
सामुदायिक पट्टा हो जाने के बाद आश्रम ने करीब 100 बीघा जमीन पर बाउंड्री करवा दी और आम नागरिकों का प्रवेश वर्जित कर दिय गया। यहां तक कि दरवाजे पर हथियारबंद गार्ड तैनात कर दिया गया। हालात यह थे कि इस आश्रम में बिना अनुमति के सरकारी अफसरों को भी प्रवेश नहीं मिलता था।
संयुक्त समिति कर रही है जांच
सहरिया क्रांति की शिकायत के बाद कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव ने एक ज्वांइट कमेटी का गठन किया है जिसमें एसडीओ रेवेन्यू, एसडीओ वन, जिला संयोजक आदिम जामि कल्याण विभाग एवं तहसीलदार शिवपुरी को नामित किया गया है।
आश्रम की ओर से उग्र विरोध प्रदर्शन
जांच समिति जब मौके पर नापतौल करने पहुंची तो आश्रम के लोगों ने अमले को धमकाने की कोशिश की। 8 मई को आश्रम की ओर से विरोध प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन में कई बाहुबली टाइप के लोग भी शामिल हुए। कुल मिलाकर आश्रम जांच को प्रभावित करने का प्रयास कर रहा है। इधर सरकारी जांच की शुरूआत में आदिवासियों की शिकायत सही बताई जा रही है। शिवपुरी कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव का कहना है कि यदि जांच में आश्रम का अतिक्रमण या अवैध पट्टा पाया गया तो उसे निरस्त कर अतिक्रमण हटाया जाएगा। डर बस इस बात का है कि करोड़ों की जमीन पर कब्जा बरकरार रखने के लिए कहीं मथुराकांड ना दोहरा दिया जाए।