बालाघाट। तहसील मुख्यालय वारासिवनी के वार्ड क्रमांक 9 में स्थित आमा बोढी तालाब किनारे बनी कच्ची सड़क के मामले में भाजपा विधायक डॉ योगेन्द्र निर्मल ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि इस मामले में 'जनभागीदारी' शब्द का गलत अर्थ निकाला गया है। वो लोगों को श्रमदान था। उसमें किसी तरह का लेन देन नहीं हुआ है। इस बयान के साथ ही विधायक निर्मल ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि सड़क निर्माण में उनका कोई हाथ नहीं है। यह जनता का अपनी सुविधा के लिए अपनी मर्जी से किया गया कार्य है।
एक प्रेसवार्ता में भाजपा विधायक डॉ योगेन्द्र निर्मल ने कहा कि मेरे विरोधी तो मेरे अपने दल में भी हैं और बाहर भी हैं। उन्होंने इस तरह से मुझे बदनाम करने की कोशिश की है। जनप्रतिनिधियों के अच्छे कामों का विरोध तो हमेशा से ही होता आया है। उन्होंने बताया कि जिस जगह पर श्रमदान हुआ है वहां पहले से ही कच्चा मार्ग था। लोगों ने उसकी मरम्मत कर दी है।
क्या है मामला
तहसील मुख्यालय वारासिवनी के वार्ड क्रमांक 9 में स्थित आमा बोढी तालाब किनारे 2 माह पूर्व एक कच्ची सड़क का निर्माण कार्य हुआ। लोगों का कहना है कि इससे पहले यहां कोई सड़क नहीं थी। बताया गया कि यह सड़क तालाब के जलग्रहण क्षेत्र में बन गई है। जब पता किया गया तो मालूम हुआ कि यह तालाब नगरपालिका की संपत्ति है परंतु कच्ची सड़क का निर्माण नगरपालिका ने नहीं कराया। इसी के साथ स्पष्ट हुआ कि यह अवैध निर्माण है। इस कच्चे मार्ग के किनारे एक बोर्ड लगा हुआ है। जिस पर लिखा हुआ है 'जनभागीदारी द्वारा वार्ड नंबर 9 में विधायक डॉ. योगेन्द्र निर्मलजी के मार्गदर्शन में सीसी रोड का निर्माण' इस बोर्ड के कारण डॉ योगेन्द्र निर्मल सवालों की जद में आ गए। बता दें कि सरकारी दस्तावेजों में 'जनभागीदारी' से तात्पर्य जनता से पैसा लेकर विकास कार्य कराने से है। चूंकि तालाब शासकीय संपत्ति है अत: यही निष्कर्ष निकाला गया। सवाल यह भी है कि यदि श्रमदान हुआ था तो तत्समय स्थानीय अखबारों में इसकी खबरें भी प्रकाशित हुई होंगी। बड़ा सवाल यह है कि नगरपालिका के तालाब में श्रमदान हुआ तो नगरपालिका अनभिज्ञ क्यों है।