भोपाल। विगत की 30 अप्रैल 2016 को मान्नीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा ‘‘म.प्र. पदोन्नति नियम 2002‘‘ असंवैधानिक ठहराये जाकर निरस्त कर दिये गये थे। मप्र शासन द्वारा उक्त निर्णय को लागू करने की बजाय निर्णय के विरूद्ध दिनांक 10 मई 2016 को मान. सर्वोच्च न्यायालय में अपील की गई थी। संस्था द्वारा पूरे प्रदेश में दिनांक 30 अप्रैल 2017 को न्याय दिवस मनाया गया था। दिनांक 10 मई-2017 को म.प्र. शासन द्वारा की गई अपील को पूरा एक वर्ष हो रहा है। इस अवधि में शासन द्वारा प्रकरण का निराकरण शीघ्र कराने की पहल की बजाय हर वार सुनवाई होने पर प्रकरण में अगली तारीख मांग कर मात्र विलम्ब किया जाता रहा है।
इस एक वर्ष की अवधि में हजारों कर्मचारी बिना पदोन्नति का लाभ प्राप्त किये सेवा निवृत्त हो चुके हैं। इससे बेफिक्र सरकार खाली हुये पदों पर मान्नीय उच्च न्यायालय के निर्णय की अवहेलना कर अस्थाई प्रभार से काम चला रही है। इससे जहॉ एक ओर प्रशासनिक व्यवस्थाएं चरमरा रही है वहीं दूसरी ओर अधिकारी/कर्मचारी अत्याधिक मानसिक दवाब में कार्य करने को मजबूर हैं एवं उनके पारिवारिक दायित्व का निर्वाहन भी नहीं कर पा रहे हैं, जो उनके मानवाधिकारों का हनन है।
म.प्र. शासन की हठधर्मिता के कारण अपने अधिकारों से वंचित हो रहे सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकारी/कर्मचारी अपने परिवार सहित पूरे प्रदेश में कल दिनांक 11 मई-2017 को काली पट्टी बांध कर शासकीय कार्य करेंगे एवं सभी जिला मुख्यालयों पर कैंडल मार्च निकाल कर विरोध दर्ज कराया जावेगा। भोपाल में अधिकारी/कर्मचारी शाम 6 बजे चिनार पार्क में एकत्रित हो कैंडल मार्च निकालेंगे। संस्था सभी सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग के नागरिक बंधुओं और सामाजिक संगठनों से अपील है कि सरकार की अन्यायपूर्ण गतिविधी के विरोध में इस कार्यक्रम में सहभागी हों।