राज की बात: इसलिए सबसे गंदा है भोपाल का रेलवे स्टेशन

Bhopal Samachar
भोपाल। रेलवे ने यात्रियों से सालाना एक अरब रुपए कमाए, लेकिन बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के मामले में सिफर साबित हुआ है। इसका ताजा उदाहरण रेलवे स्टेशनों के स्वच्छता सर्वेक्षण में देशभर में नीचे से दूसरी रैंकिंग भोपाल स्टेशन मिलना है। पिछले पांच सालों में भोपाल स्टेशन पर ट्रेनों की संख्या 100 से बढ़कर 135 और यात्रियों की संख्या 75 हजार से बढ़कर 1 लाख 10 हजार हो गई। रेलवे को सालाना 100 करोड़ रुपए की कमाई भी हुई, लेकिन अफसर स्टेशन के बुनियादी सुविधाओं में सुधार और चूहे, कॉक्रोच मारने (पेस्ट कंट्रोल और रोडेन्टिसाइड कंट्रोल) का ठेका तक नहीं कर पाएं। यह खुलासा सर्वे रिपोर्ट आने के बाद हुआ है। 

दरअसल, भोपाल स्टेशन पर तेजी से यात्रियों का दबाव बढ़ रहा है। छुट्टी और शादियों के सीजन में चौबीस घंटे के दौरान यात्रियों की संख्या सवा लाख तक पहुंच रही है। इस हिसाब से प्लेटफार्मों पर व्यवस्थाएं नहीं है क्योंकि स्टेशन का इंफ्रास्ट्रक्चर सालों पुराना है। जिसे अपडेट नहीं किया जा रहा है। केवल सुधार के नाम पर छोटे-मोटे काम हो रहे हैं जो पर्याप्त नहीं है।

अकेले चूहे और कॉक्रोच मारने की बात की जाए तो पिछले पांच साल से इन्हें मारने का ठेका नहीं किया गया। बताया जा रहा है कि पेस्ट कंट्रोल और रोडेन्टिसाइड कंट्रोल के लिए शुरूआत में महंगा ठेका होता है, यह राशि बचाने अधिकारी टेंडर जारी करने से बच रहे हैं।

कम अंक मिलने की ये बड़ी वजह
150 सफाई कर्मी और 40 मशीनों की जरूरत। दोनों की संख्या आधी है इसलिए सफाई में पिछड़ रहे हैं।
प्लेटफार्माें की चौड़ाई का स्टैंडर्ड साइज 20 मीटर होता है जो 9 मीटर ही चौड़े हैं। इन्हीं पर यात्री का दबाव और पार्सल रहता है, सफाई नहीं हो पाती।
नालियों का स्लोप उबड़-खाबड़, गंदा पानी बाहर नहीं निकलता, मच्छर पनपते हैं।
प्लेटफार्म-6 पर ग्रेनाइट नहीं लगे, इसलिए मशीन से सफाई नहीं हो पाती। प्लेटफार्म गंदा रहता है।
डस्टबिन पर्याप्त नहीं है, जो है वे अधिक यात्री दबाव के कारण हर दूसरे घंटे भर जाती है समय पर साफ नहीं होती।
लिफ्ट खराब है इसलिए नए एफओबी पर मशीन से सफाई नहीं हो पाती। आरपीएफ-जीआरपी के पीछे से कचरा नहीं उठता।
प्लेटफार्म-4, 5 और 6 पर हबीबगंज आउटर की तरफ शेड बढ़ा दिए, बिजली की व्यवस्था नहीं की। मशीन से सफाई नहीं हो पाती।
200 से अधिक अस्थाई और भिखारी स्टेशन परिसर में चौबीसों घंटे रहते हैं, गंदगी फैलाते है, अवैध वेंडर हावी है।
स्टेशन पर पे-एंड-यूज टॉयलेट की हालात खराब, कोई देखने वाला तक नहीं।
सर्कुलेटिंग एरिया पर ठेकेदारों द्वारा वाहनों की पार्किंग, आवागमन बाधित।
स्टेशन की व्यवस्था में सुधार के लिए ब्रांच के अधिकारियों में तालमेल नहीं है।
भोपाल स्टेशन पर समाप्त होने वाली ट्रेनों से निकला कचरा एप्रन पर फेंक दिया जाता हैं, गंदगी फैलती है। नॉलियां चोक हो जाती।
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भोपाल स्टेशन की रिपोर्ट देख चुका हूं। कई कमियां है, अकेले सफाई कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने से काम नहीं चलेगा। व्यवस्थागत सुधार करने होंगे।फिलहाल जिन व्यवस्थाओं में सुधार हो सकता है उनके निर्देश दिए हैं। आगे क्या कर सकते हैं इस पर काम कर रहे हैं। स्टेशन के सुधार के लिए हर स्तर पर काम करेंगे।
शोभन चौधुरी, डीआरएम

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