डॉ. पूजा पाण्डेय। एक 6 साल का छोटा सा बच्चा अक्सर परमात्मा से मिलने की जिद किया करता था। उसे परमात्मा के बारे में कुछ भी पता नही था पर मिलने की तमन्ना, भरपूर थी। उसकी चाहत थी की एक समय की रोटी वो परमात्मा के साथ खाये। 1 दिन उसने 1 थैले में 5, 6 रोटियां रखीं और परमात्मा को को ढूंढने निकल पड़ा। चलते चलते वो बहुत दूर निकल आया। संध्या का समय हो गया। उसने देखा नदी के तट पर एक बुजुर्ग बूढ़ा बैठा हैं, जिनकी आँखों में बहुत गजब की चमक थी, प्यार था, और ऐसा लग रहा था जैसे उसी के इन्तजार में वहां बैठा उसका रास्ता देख रहा हों।
वो 6 साल का मासूम बालक बुजुर्ग बूढ़े के पास जा कर बैठ गया। अपने थैले में से रोटी निकाली और खाने लग गया और उसने अपना रोटी वाला हाँथ बूढे की ओर बढ़ाया और मुस्कुरा के देखने लगा, बूढे ने रोटी ले ली, बूढ़े के झुर्रियों वाले चेहरे पर अजीब सी ख़ुशी आ गई आँखों में ख़ुशी के आंसू भी थे।
बच्चा बूढ़े को देखे जा रहा था, जब बूढ़े ने रोटी खा ली बच्चे ने एक और रोटी बूढ़े को दी। बूढ़ा अब बहुत खुश था। बच्चा भी बहुत खुश था। दोनों ने आपस में बहुत प्यार और स्नेह केे पल बिताये। जब रात घिरने लगी तो बच्चा इजाज़त ले घर की ओर चलने लगा। वो बार बार पीछे मुड कर देखता तो पाता बुजुर्ग बूढ़ा उसी की ओर देख रहा था।।
बच्चा घर पहुंचा तो माँ ने अपने बेटे को आया देख जोर से गले से लगा लिया और चूमने लगी, बच्चा बहुत खुश था। माँ ने अपने बच्चे को इतना खुश पहली बार देखा तो ख़ुशी का कारण पूछा। बच्चे ने बताया माँ, आज मैंने परमात्मा के साथ बैठ क्ऱ रोटी खाई, आपको पता है उन्होंने भी मेरी रोटी खाई। माँ परमात्मा् बहुत बूढ़े हो गये हैं। मैं आज बहुत खुश हूँ माँ।
उस तरफ बुजुर्ग भी जब अपने गाँव पहुंचा तो गांव वालों ने देखा बूढ़ा बहुत खुश हैं, तो किसी ने उनके इतने खुश होने का कारण पूछा। बूढ़ा बोला: मैं 2 दिन से नदी के तट पर अकेला भूखा बैठा था। मुझे विश्वास था परमात्मा आएंगे और मुझे खाना खिलाएंगे।। आज भगवान आए थे, उन्होंने मेरे साथ बैठ कर रोटी खाई। मुझे भी बहुत प्यार से खिलाई, बहुत प्यार से मेरी और देखते थे, जाते समय मुझे गले भी लगाया, परमात्मा बहुत ही मासूम हैं बच्चे की तरह दिखते हैं। इस कहानी का अर्थ बहुत गहरा है। क्या आप समझ पा रहे हैं।