व्यापमं घोटाला: अकेले पड़े दिग्विजय सिंह, भाजपा का हमला, कांग्रेसी गायब | DIGVIJAY SINGH

Bhopal Samachar
भोपाल। व्यापमं घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ही सीबीआई जांच की मांग की थी और आज उसी सीबीआई ने दिग्विजय सिंह को कार्रवाई की जद में ले लिया। सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई के हलफनामे के बाद भाजपा हमलावर हो गई है, जबकि कांग्रेसी नेता गायब हैं। शिवराज सरकार के 3 मंत्रियों ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ एफआईआर की मांग को लेकर सीबीआई को ज्ञापन सौंपा है, लेकिन कांग्रेस की ओर से अब तक किसी भी दिग्गज या प्रभावशाली नेता का बयान तक नहीं आया है। दिग्विजय सिंह फिलहाल अकेले पड़ गए हैं। 

मंत्रियों ने सीबीआई को दिया ज्ञापन
मप्र के तीन मंत्रियों गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह, जल संसाधन मंत्री नरोत्तम मिश्रा और सहकारिता राज्य मंत्री विश्वास सारंग ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को एक ज्ञापन सौंपकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के अलावा दो व्हिसिलब्लोअर प्रशांत पांडे और डॉ. आनंद राय के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की। तीनों मंत्रियों ने गुरुवार को यहां व्यापमं मामले की जांच का जिम्मा संभाल रहे सीबीआई के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) को चार पेज का ज्ञापन सौंपा। इसमें आरोप लगाया गया है कि दिग्विजय सिंह के अलावा प्रशांत पांडे और डॉ आनंद पांडे ने छवि को धूमिल करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को आरोपी बनाने की मांग की थी। इस संबंध में तीनों ने शपथपत्र के साथ पेन ड्राइव भी सौंपी थी।

ज्ञापन के अनुसार पेन ड्राइव के संबंध में सिंह का कहना था कि व्यापमं के कर्मचारी नितिन महिंद्रा के कार्यालय में लगे कंप्यूटर की हार्ड डिस्क जब्त की गई थी। इस हार्ड डिस्क में पाया गया था कि महिन्द्रा ने अपने कंप्यूटर में एक एक्सेल शीट बनाई थी, जिसमें उन लोगों के नाम दर्ज थे, जो पैसे लेकर फर्जी तरीके से पास कराने की गारंटी लेते थे।

ज्ञापन के अनुसार दिग्विजय सिंह ने एक पत्रकार वार्ता में यह आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री चौहान के कहने पर पुलिस के एसटीफ ने व्यापमं के नितिन महिन्द्रा के कंप्यूटर की हार्ड डिस्क में छेड़छाड़ कर एक्सेल सीट से चौहान का नाम हटा दिया था। और उनके स्थान पर दूसरा नाम दर्ज कर दिया गया। यह भी मांग की गई थी कि इस मामले में सीएम शिवराज सिंह चौहान की संलिप्तता है और उन्हें भी मुल्जिम बनाया जाए।

ज्ञापन में भाजपा नेताओं ने कहा कि इस पेन ड्राइव की चार स्तर पर जांच हुई और चारों की रिपोर्ट में बताया गया कि व्यापमं के कर्मचारी महिन्द्रा के कार्यालय से जब्त हार्ड डिस्क में कोई छेड़छाड़ नहीं की गई। इस संबंध में दिग्विजय सिंह की ओर से पेश पेन ड्राइव फर्जी पाई गई।तीनों मंत्रियों ने सीबीआई से अनुरोध किया है कि दिग्विजय सिंह, डॉ. आनंद राय और प्रशांत पांडे ने मुख्यमंत्री को व्यापमं मामले में फंसाने के लिए झूठे सबूत बनाए हैं, इसलिए उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज होने चाहिए।

तीनों मंत्रियों की ओर से पेश किए गए ज्ञापन में कहा गया है कि सीबीआई के पुलिस अधीक्षक वी. प्रियदर्शी द्वारा उच्चतम न्यायालय में याचिकाकर्ता प्रशांत पांडे द्वारा प्रस्तुत याचिका पर गुरुवार को शपथपत्र पेश किया गया है। इसमें जानकारी दी गयी है कि प्रशांत पांडे और दिग्विजय सिंह द्वारा पेन ड्राइव में छेड़छाड़ के जो आरोप लगाए गए थे, वे जांच में फर्जी पाए गए हैं और इनके द्वारा फर्जी डिजीटल रिकार्ड (पेन ड्राइव) तैयार की गई है।

जब लिफाफा सीलबंद है तो हलफनामा क्यों: कांग्रेस
प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से जारी प्रेसनोट के में कहा गया है कि राजधानी भोपाल के प्रोफेसर कॉलोनी स्थित सीबीआई दफ्तर में श्री दिग्विजय सिंह व अन्य के विरूद्व आपराधिक मामला दर्ज कराने पहुंचे तीन मंत्रियों नरोत्तम मिश्रा, भूपेन्द्रसिंह और विश्वास सारंग की मौजूदगी को सीबीआई की कार्यवाही में सीधा राजनैतिक हस्तक्षेप है। जब श्री दिग्विजयसिंह, ब्हिसल ब्लोअर श्री प्रशांत पांडे व डॉ. आनंद राय ने व्यापमं महाघोटाले में हुई टेंपरिंग (दस्तावेजों के साथ छोड़छाड़) को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में शपथ-पत्र के साथ देश के ख्यात विधि विशेषज्ञों की सलाह के उपरांत याचिका दायर की है, देश की प्रतिष्ठित हैदराबाद की लैब द्वारा तत्संबंधित पेनड्राईव की परीक्षण रिपोर्ट अभी भी सीलबंद लिफाफे में न्यायालयीन अभिरक्षा में सुरक्षित है, पिछली तारीखों में दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई को यह रिपोर्ट सौंपने से इंकार करते हुए निर्देश पारित किया था कि यह सीलबंद लिफाफा ट्रायल कोर्ट को सौंपा जायेगा। 

कांग्रेस कमेटी ने दावा किया है कि लिफाफा अभी तक ट्रायल कोर्ट में नहीं पहुंचा है और न ही इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक हुई है। इस स्थिति में सीबीआई ने किस आधार पर श्री दिग्विजयसिंह व अन्य याचिकाकर्ताओं के विरूद्व प्राथमिकी दर्ज करने हेतु सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हलफनामा क्यों, किसलिए और किसके दबाव में प्रस्तुत किया है?

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