होशंगाबाद। यदि कोई मरीज के परिजन अस्पताल में इलाज या दवाएं ना मिलने पर हंगामा मचाएं तो डॉक्टर हड़ताल कर बैठते हैं। परिजनों को जेल भेजकर ही मानते हैं परंतु बुधवार रात वह सबकुछ एक डॉक्टर के साथ भी हो गया जो हर रोज मरीजों के साथ होता है। पीड़ित डॉक्टर एवं उसके परिजनों ने भी वैसा ही हंगामा मचाया जैसा मरीज के परिजन मचाते हैं। फर्क बस इतना रहा कि इस हंगामे के विरोध में हड़ताल नहीं हुई।
बुधवार देर रात को जिला अस्पताल के आरएमओ और हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. दिनेश दहलवार को मीनाक्षी चौराहे पर एक पागल कुत्ते ने काट लिया। रात 3 बजे जब वे इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंचे तो दवा वितरण कक्ष में ड्यूटी के दौरान सो रही फार्मासिस्ट नहीं उठी तो तीन डॉक्टरों ने धक्का देकर दरवाजा खोला और फार्मासिस्ट को जमकर डांटा। महिला फार्मासिस्ट ने जिला अस्पताल के उन तीनों डॉक्टरों पर अभद्रता करने और अकेली महिला के कक्ष में घुसने का आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत कलेक्टर और सीएमएचओ से की है।
ये है घटनाक्रम
डॉ. देहलवार ने बताया पत्नी डॉ. त्रिवेणी दहलवार के साथ वे रात ढाई बजे मीनाक्षी चौराहे से बाइक से घर लौट रहे थे। तभी चौराहा पर एक पागल कुत्ता उन पर झपट पड़ा और हाथ और पैर में दांत गड़ा दिए। इसके बाद पति-पत्नी इलाज के लिये जिला अस्पताल पहुंच गए। उस समय अस्पताल में डॉ. रोहित शर्मा की ड्यूटी थी। वहीं डोलरिया बीएमओ डॉक्टर मंत्री एक मरीज को देखने आये हुये थे। इसके बाद डॉ. मोरे भी ईटेट में पहुंच गये। उन्होंने कंपाउंडर लव शर्मा को पर्चा देते हुये दवा कक्ष से एआरवी और इम्युनोग्लोविन लाने को कहा।
दवा कक्ष में सो रही थी मैडम
कंपाउंडर ने बताया पहले मैंने दवा कक्ष का दरवाजा खटखटाते हुए कंचन तिवारी मैडम को आवाज लगाई, लेकिन उन्होंने दरवाजा नहीं खोला तो मैं बाहर विंडो पर गया। देखा कि मैडम अंदर सो रही थी। काफी आवाज देने के बाद भी जब उनकी नींद नहीं खुली तो मैंने यह बात ईटेट कक्ष में बैठे डॉक्टर्स को बताई। इसके बाद ड्यूटी डॉक्टर ने फोन पर फार्मासिस्ट को उठाने आठ-दस बार लगातार घंटी की, लेकिन वे नहीं उठीं।
स्टोरकीपर ने लाकर दी दवा
काफी प्रयास के बाद भी जब फार्मासिस्ट कंचन तिवारी नहीं उठी तो डॉ. मोरे ने जिला अस्पताल के स्टोरकीपर अतुल दुबे को मोबाइल पर पूरी बात बताते हुए तुरंत एंटी रैबीज और इम्युनोग्लोविन इंजेक्शन तुरंत लेकर आने को कहा। मालाखेड़ी में रहने वाले स्टोरकीपर पांच मिनट में जिला अस्पताल पहुंचे और दवा स्टोर का ताला खोलकर दवाएं उपलब्ध कराईं। इस प्रकार करीब पौन घंटे बाद डॉ. दहलवार को इलाज उपलब्ध हो सका।
मैंने डांटा तो क्या गलत किया
पूरे विवाद पर आरएमओ डॉ. दहलवार का कहना है कि ड्यूटी पर सोना लापरवाही की श्रेणी में आता है। ऐसे में यदि मैंने जबरदस्ती दरवाजा खुलवा कर फार्मासिस्ट को डांटा तो इसमें गलत बात क्या है। वैसे भी आरएमओ होने के नाते अस्पताल के कामकाज पर नजर रखने का अधिकार मिला हुआ है। आरएमओ कहते हैं कि जब मुझे इलाज के लिये पौन घंटे इंतजार करना पड़ सकता है तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि रात के समय आम मरीज के क्या हाल होते होंगे।
जांच के आदेश दे दिये हैं
फार्मासिस्ट ने गुरुवार सुबह कार्यालय में आकर शिकायती आवेदन दिया है। उसने कहा है कि मैं सो नहीं रही थी, बल्कि डर गई थी इसलिये दरवाजा नहीं खोला। शिकायत में इस महिला कर्मचारी ने डांटने और जबरदस्ती दरवाजा खोल कर अंदर आने की बात कही है। सच्चाई का पता लगाने डीएमओ डॉ. नलिनी गौड़ को जांच के आदेश दिये हैं।
डॉ. दिलीप कटैलिहा, सीएमएचओ