अपराधियों की ENGINEERING: देसी कट्टे को बना दिया आॅटोमेटिक पिस्टल

Bhopal Samachar
भोपाल। आप इसे बेरोजगारी का परिणाम कह सकते हैं या मालामाल होती अपराध की दुनिया में नई इंजीनियरिंग लेकिन सच यह है कि अवैध हथियारों का कारोबार ना केवल तेजी से बढ़ रहा है बल्कि इसमें नए अपडेट भी आ रहे हैं। केवल एक फायर करने की क्षमता वाले देसी कट्टे को अब आॅटोमेटिकल पिस्टल बना दिया गया है। उसमें मैग्जीन लगती है। इससे एक साथ 6 फायर किए जा सकते हैं। देसी कट्टे की दूसरी कमी थी कि फायर करते ही उसकी नाल गर्म हो जाती थी। अब बैरल को मशीनगन की तरह ठंडा रखने की तकनीक भी खोज निकाली गई है। अपराधियों ने बैरल को ठंडा करने उसमें मशीन गन की तरह छेद वाला पाइप लगाना शुरू कर दिया है। बीते दिनों ऐसे ही हथियार शाहजहांनाबाद पुलिस को तस्करों से मिले थे। बरामद हथियारों की गुणवत्ता देख पुलिस भी हैरान है। स्वभाविक है, यह अपग्रेडेशन अनपढ़ अपराधियों ने नहीं किए होंगे। बेहतरीन इंजीनियर्स ही ऐसा कर सकते हैं। सवाल यह है कि ऐसे बेहतरीन इंजीनियर्स सरकार की सेवा में क्यों नहीं हैं। 

चाइना मेड पिस्टल और माउजर
कुछ घरेलू लोहे के सामान से अवैध हथियार बनाने वाले कट्टे से लेकर पिस्टल तक तैयार कर रहे हैं, जिसे बाजार में 2 से लेकर पांच हजार रुपए तक बेच दिया जाता है। अब फिनिशिंग वाले हथियारों की मांग बढ़ गई है। ऐसे में तस्करों ने विदेशी हथियारों की तर्ज पर पिस्टल और माउजर बनाने शुरू कर दिए हैं। इन्हे चाइना मेड कहकर बेचा जा रहा है। 

शौक के लिए रखने लगे हैं हथियार
राजधानी में बीते दिनों पुलिस के हत्थे चढ़े तस्करों और खरीदरों से कई खुलासे हुए। खरीदारों में बदमाशों से लेकर सरकारी कर्मचारी और छात्र तक निकले। पूछताछ में कर्मचारियों और छात्रों ने कबूल किया कि वे सिर्फ शौक के लिए इन्हें रखते हैं, जबकि बदमाश अपनी सुरक्षा और वारदात को अंजाम देने के लिए उपयोग कर रहे हैं।

कंपनी की तरह काम करने लगे हैं गिरोह
हथियार तस्करों का पूरा नेटवर्क किसी कार्पोरेट कंपनी की तरह चलता है। इसमें किसी एक को पकड़ने पर भी इस चेन को समझना आसान नहीं होता। पुलिस की मानें तो अधिकांश हथियार यूपी और बिहार के रास्ते आते हैं। हालांकि, मध्यप्रदेश में खंडवा जैसे जिलों में भी हथियार बनाए जाते हैं।

बैंक में जमा कराया जाता है पैसा
यूपी और बिहार के बदमाश कभी भी हथियार लेकर मप्र नहीं आते। हथियार लेने पार्टी को ही वहां जाना पड़ता है। यहां से सिर्फ रुपए अलग-अलग बैंक खातों में जमा कर दिए जाते हैं। इसके बाद तय समय और व्यक्ति के हाथों यूपी और बिहार के ही किसी शहर में सौदा हो जाता है।

एयर गन को बना दिया जानलेवा
अवैध हथियार बनाने वाले एयर गन को डेढ़ से दो हजार में खरीद लेते हैं। इसके बाद उसे मोडीफाइ कर 10 हजार रुपए तक में बेच देते हैं। मोडीफाइ होने के बाद एयर गन की मारक क्षमता बढ़ जाती है। यह शिकार करने में सबसे अधिक उपयोग की जाने लगी है। अब यह जानलेवा हो गई है। 

लगातार रखे हैं नजर
बीते एक सप्ताह में पुलिस ने दो दर्जन से अधिक बदमाशों से अवैध हथियार बरामद करने में सफलता हासिल की है। हम लगातार हथियारों के नेटवर्क को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। हमारी विशेष टीम इस दिशा में काम कर रही है। सूचना मिलते ही तत्काल कार्रवाई की जाती है, ताकि इन्हें शहर में आने से पहले ही रोका जा सके। 
अरविंद सक्सेना, एसपी नॉर्थ

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