भोपाल। राशन की दुकान पर सेल्समैन के रूप में अपनी करियर की शुरूआत करने वाला रामप्रपन्न शर्मा पुत्र लक्ष्मीदत्त तरक्की पाकर समिति प्रबंधक बन गया। पहले उसे महज 150 रुपए पगार मिलती थी, अब 26000 रुपए वेतन मिलती है। 36 साल की नौकरी में उसे कुल 20 लाख रुपए वेतन मिला। क्या आप बता सकते हैं कि इस रकम में से कोई व्यक्ति घर खर्च काटकर कितना पैसा बचा सकता है। यदि बात रामप्रपन्न की हो तो उन्होंने 1.44 करोड़ रुपए बचा लिए। लोकायुक्त पुलिस को इतनी रकम की संपत्ति के दस्तावेज मिले हैं।
रीवा जिले के सोनौरी गांव में मंगलवार की सुबह लोकायुक्त की टीम ने सर्च वारंट के साथ समिति प्रबंधक रामप्रपन्न शर्मा पुत्र लक्ष्मीदत्त के यहां छापा मारा। शर्मा ने 1983 में सेल्स मैन के रूप में नौकरी शुरू की थी। उस समय 150 रुपए वेतन मिलता था। लम्बे समय बाद उन्हें प्रमोशन मिला और सेवा सहकारी समिति सोहागी मेंं समिति प्रबंधक के रूप में सेवाएं देने लगे। इस समय उन्हें लगभग 26 हजार रुपए वेतन मिल रहा था। 36 साल की नौकरी में उन्हें वेतन के रूप में लगभग बीस लाख सौ रुपए ही मिले हैं, लेकिन सम्पत्ति एक करोड़ से भी ज्यादा की बना ली।
इसी वर्ष जनवरी माह में रामप्रपन्न शर्मा का स्थानांतरण जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक रीवा हो गया है। सेवा सहकारी समिति सोहागी से उन्हें रिलीव भी कर दिया गया है लेकिन चार माह बीत जाने के बाद भी उन्होंने जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक में ज्वाइनिंग नहीं दी। उनका कहना है कि वो बीमार थे, इसलिए अपनी ज्वाइनिंग नहीं दे पाए और 4 महीने से घर पर ही आराम कर रहे थे।
सम्पत्ति का ब्यौरा
गृह ग्राम सोनौरी में आलीशान दो मंजिला मकान।
अपने सेवाकाल के दौरान तीस एकड़ कृषि भूमि खरीदी।
कृषि भूमि खरीद कर इसमें दो मंजिला फार्म हाउस भी तैयार कराया।
इनोवा और स्विफ्ट डिजायर कार व तीन टू-व्हीलर।
एलआईसी और बैंक में भी लाखों रूपये का निवेश।
लाखों रूपये की ज्वेलरी।
समिति प्रबंधक के विरूद्ध आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित किए जाने की शिकायत मिली थी। जिसकी जांच कराने के बाद छापा मारा गया है। यह कार्यवाही अभी भी जारी है। अब तक की जांच में लगभग 1 करोड़ 44 लाख रूपए की सम्पत्ति उजागर हुई है।
देवेश पाठक, प्रभारी एसपी, लोकायुक्त