इंदौर। इंदौर के नमकीन के दीवाने सारी दुनिया में हैं लेकिन सेंव-नमकीन के शौकीन लोगों का जायका खराब करने जा रहा है। नई कर प्रणाली में बेसन, तेल, मसालों पर टैक्स में राहत कागज पर तो नजर आ रही है लेकिन नमकीन उद्योग और इसकी लज्जत के शौकीन दोनों टैक्स के भंवर में उलझते दिख रहे हैं। नमकीन पर एक समान रूप से 12 प्रतिशत टैक्स लागू कर दिया गया है। निर्माताओं ने भी मान लिया है कि जीएसटी के साथ ही नमकीन की कीमत में भी 50 रुपए किलो तक की बढ़ोतरी तय है।
जीएसटी की घोषित टैक्स दरों को देखें तो उद्योगों को इसमें राहत मिलती नजर आ रही है। हालांकि यह राहत न तो निर्माताओं के गल्ले और न ही उपभोक्ताओं की जेब में पहुंचेगी। दरअसल, कच्चे माल में राहत देकर सरकार ने जीएसटी के जरिये निर्मित नमकीन पर टैक्स लागू कर दिया है। जीएसटी की यह दर मौजूदा कर ढांचे के जोड़-घटाव के लिहाज से सिर्फ कागजों पर ही राहत देगी, जबकि बाजार में इसका उलटा असर नजर आएगा।
कागजों पर फायदा
वरिष्ठ कर सलाहकार और सीए आरएस गोयल के मुताबिक मौजूदा कर प्रणाली में बेसन पर शून्य प्रतिशत टैक्स है। जीएसटी में भी इस पर टैक्स नहीं लगा है। मसालों पर पांच प्रतिशत टैक्स है। जीएसटी में इसे बरकरार रखा गया है। अभी कर प्रणाली में तेल पर पांच प्रतिशत वैट और छह प्रतिशत एक्साइज यानी कुल 11 प्रतिशत टैक्स लगता है। जीएसटी में यह पांच प्रतिशत हो गया है यानी छह प्रतिशत की कमी। इस कच्चे माल को छोड़ दिया जाए तो तैयार नमकीन पर पुरानी कर प्रणाली के मुताबिक पांच प्रतिशत वैट और 12.5 प्रतिशत एक्साइज लागू होती है। यानी अब तक कुल 17.5 प्रतिशत टैक्स लग रहा है। जीएसटी में इसे 12 प्रतिशत कर दिया गया है। यानी कागजों पर साढ़े पांच प्रतिशत की राहत नजर आ रही है।
असल में नुकसान
जीएसटी की दरों के मुताबिक कागजों पर नजर आने वाली राहत के बावजूद नमकीन के व्यापार पर टैक्स का बोझ बढ़ना तय है। असल में तैयार नमकीन पर वर्तमान में नाममात्र का ही टैक्स चुकाया जा रहा है। एक्साइज की 12.50 ड्यूटी सिर्फ उन्हीं विक्रेताओं के देना होती थी, जिनका टर्नओवर डेढ़ करोड़ से ज्यादा हो। टैक्स से बचने के लिए टर्नओवर को बही-खातों में नियंत्रित ही रखा जाता था। इसके बाद भी बढ़ी निर्माण इकाइयां कंपोजिशन स्कीम का लाभ लेकर सिर्फ चार से पांच प्रतिशत टैक्स चुकाती थीं। जीएसटी के बाद ये रास्ते बंद हो जाएंगे। सभी को एक समान रूप से टैक्स जमा करना होगा। इसका सीधा बोझ उपभोक्ताओं पर ही डाला जाएगा।
टैक्स से बचने का रास्ता बंद
ब्रांडेड-अनब्रांडेड का फर्क खत्म कर सीधे तौर पर नमकीन, भुजिया, मिक्चर, चबैना और ऐसे उपयोग के लिए तैयार खाद्य पदार्थों पर 12 प्रतिशत टैक्स लागू कर दिया है। यानी हर व्यापारी को ऐसे उत्पादों पर 12 प्रतिशत कर देना ही होगा। अब तक गली निकालकर टैक्स से बचने वालों के लिए भी जीएसटी में रास्ता बंद हो रहा है।
आरएस गोयल, कर सलाहकार