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केस की अगली सुनवाई 5 जुलाई को होनी है। पीड़िता ने 20 नवंबर 2016 को रेप केस दर्ज किया था, उसका कहना है कि वह आरोपी को जानती है। इसके बाद पीड़िता का बयान कैथल में फर्स्ट क्लास जुडिशल मैजिस्ट्रेट के सामने दर्ज करवाया गया। पीड़िता ने रेप के साथ-साथ पुलिसवालों के द्वारा किए गए बर्ताव का ब्यौरा भी दिया, हालांकि किसी पुलिसवाले के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।
अपने पिता की मदद से हाई कोर्ट में दायर की गई पीड़िता की याचिका के मुताबिक, 23 नवंबर को पुलिसवाले रेप के आरोपी के साथ उसे कैथल के क्राइम इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (CIA) कार्यालय ले गए थे। वहां पुलिसवालों ने जो उसके साथ किया, वह रेप से भी ज्यादा अपमानजनक था।
पीड़िता के मुताबिक, 'CIA के एक पुलिसकर्मी ने कहा कि मैं शर्ट के बटन खोलकर उसे दिखाऊं कि मेरा रेप हुआ है। इसके बाद उसने अपने हाथ मेरी जांघों पर रखे।' पीड़िता ने आगे कहा, 'एक अन्य पुलिसकर्मी ने मेरे पैरों को हाथ में लिया और किसी से कुछ न कहने के लिए कहा। कहा कि अगर किसी को बताया तो मेडिकल जांच नहीं की जाएगी। इसके बाद मुझे महिला थाने ले जाया गया।'
पीड़िता उसके साथ अपमानजनक व्यवहार करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ IPC की धाराओं और पॉक्सो ऐक्ट के तहत एफआईआर की मांग कर रही है। पीड़िता के वकील ने कोर्ट को बताया कि डीजीपी से गुहार लगाए जाने के बावजूद पुलिस के खिलाफ एफआईआर नहीं दर्ज की गई।