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जस्टिस एपी साही व जस्टिस संजय हरकौली की बेंच ने यह आदेश 2012 में वकील के. सरन की ओर से दायर एक जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए दिया। कोर्ट ने याची से आदेश की प्रति सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को देने को कहा है। इस बाबत दायर याचिका में कहा गया है कि निर्मल बाबा के कार्यक्रम अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाले हैं।
हालांकि सुनवाई के दौरान बेंच के सामने यह बात आई कि केंद्र सरकार ने 30 मई 2005 को न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेट्री, ब्रॉडकास्ट कंटेंट कंप्लेंट काउंसिल और एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया को निर्मल बाबा के कार्यक्रमों के खिलाफ लिखा था।
इस पर बेंच ने कहा कि जब सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय स्वयं निर्मल बाबा के कार्यक्रमों को आपत्तिजनक मानता है तो उचित होगा कि वह मामले में नियमानुसार कार्रवाई करे। कोर्ट ने किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले केबल ऑपरेटर, चैनल या अन्य संबंधित पक्षकार को भी नोटिस जारी कर उनका पक्ष सुनने को कहा है।