इलाहाबाद। उत्तरप्रदेश सरकार ने 10 साल पहले हुए गोरखपुर दंगा मामले में योगी आदित्यनाथ को मुल्जिम बनाने से साफ इंकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में सरकार से पूछा था। सरकार ने जवाब सबमिट कर दिया है। बता दें कि 2007 में हुए दंगों के मामले में बसपा एवं सपा सरकार ने भी योगी आदित्यनाथ के खिलाफ केस वाला मामला लटकाए रखा था। उसी आधार पर यूपी सरकार ने कोर्ट में इंकार कर दिया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने दंगा के एक मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर मुकदमा चलाने से मना कर दिया है। गोरखपुर में 2007 दंगा मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा था कि क्या योगी आदित्यनाथ पर मुकदमा चलाया जाए। इसके जवाब में यूपी सरकार ने मुकदमा चलाने से मना कर दिया है। यह 2007 का गोरखपुर में हुए दंगों को लेकर मामला था। इस मामले में पिछली दोनों सरकार के पास फाइल गई थी, जिसमें सांसद योगी आदित्यनाथ पर केस चलाने की इजाजत देने की बात कही गई थी। इस मामले याचिकाकर्ता का कहना है कि वह इस मामले में हाई कोर्ट में केस करेंगे और वहां बात नहीं बनेगी तो वह इसे आगे ले जाएंगे। उनका तर्क है कि इस मामले योगी आदित्यनाथ के वॉइस सैंपल तक नहीं लिए गए थे। इसी कारण बिना जांच के इस प्रकार छूट नहीं दी जा सकती।
अखिलेश सरकार ने योगी पर दिखाई थी मेहरबानी
इस मामले में याचिकाकर्ता गोरखपुर के पत्रकार परवेज परवाज और सामाजिक कार्यकर्ता असद हयात ने इस मामले की जांच सीबीसीआईडी के बजाय सीबीआई या दूसरी स्वतंत्र एजेंसी से कराए जाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। अखिलेश सरकार ने मामले को लटकाते हुए योगी इस केस में योगी समेत बाकी आरोपियों के खिलाफ केस चलाए जाने की मंजूरी नहीं दी थी।
क्या है मामला
27 जनवरी 2007 को गोरखपुर में सांप्रदायिक दंगा हुआ था। आरोप है कि इस दंगे में अल्पसंख्यक समुदाय के दो लोगों की मौत हुई थी और कई लोग घायल हुए थे। इस मामले में दर्ज केस में आरोप है कि तत्कालीन बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ, विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल और उस वक्त की मेयर अंजू चौधरी ने रेलवे स्टेशन के पास भड़काऊ भाषण देने के बाद भड़का था। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक यह दंगा मुहर्रम पर ताजिये के जुलूस के रास्तों को लेकर था।
इस मामले में योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के कई नेताओं के खिलाफ सीजेएम कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज हुई थी। योगी आदित्यनाथ समेत दूसरे बीजेपी नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज किये जाने का आदेश दिए जाने का केस गोरखपुर के पत्रकार परवेज परवाज व सामाजिक कार्यकर्ता असद हयात ने दाखिल किया था। केस दर्ज होने के बाद मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंपी गई थी। एफआईआर दर्ज होने के आदेश और जांच पर आरोपी मेयर अंजू चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट से काफी दिनों तक स्टे ले रखा था। 13 दिसंबर 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने स्टे वापस ले लिया था।