शैलेन्द्र गुप्ता/भोपाल। आरएसएस के एक सामान्य कार्यकर्ता से अपनी करियर की शुरूआत करने वाले सुधीर शर्मा देखते ही देखते करोड़पति कारोबारी हो गए। तत्कालीन मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के राइट हेंड कहलाने वाले सुधीर शर्मा व्यापमं घोटाले के बाद सुर्खियों में आए। आयकर विभाग ने छापामार कार्रवाई की तो 4500 करोड़ की कमाई रिकॉड की गई लेकिन सुधीर शर्मा ने आयकर विभाग को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी है। अब माइनिंग की आमदनी के मूल्यांकन का मामला इंडियन ब्यूरो ऑफ माइनिंग (आईबीएम) देखेगा। हाईकोर्ट ने सुधीर शर्मा को सेटलमेंट बोर्ड भेजा था। सेटलमेंट बोर्ड शर्मा की सही आय का पता आईबीएम के माध्यम से लगाएगा।
सुधीर शर्मा पर पांच साल पहले आयकर विभाग ने छापे मारे थे। सूत्रों के मुताबिक शर्मा अपने आयकर प्रकरण को लेकर तब सेटलमेंट बोर्ड भी गए थे। बोर्ड ने मामले को भोपाल आयकर की टीम को सौंप दिया था। शर्मा के खनन कारोबार की आय की गणना करने में विभाग ने एक निजी मूल्यांकनकर्ता की मदद ली थी।
इसी आधार पर आयकर विभाग ने आय का मूल्यांकन करीब साढ़े चार हजार करोड़ रुपए किया था। बताया जाता है कि सुधीर शर्मा ने इस आय के मूल्यांकन पर आपत्ति करते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी। अदालत ने आपत्ति को उचित मानते हुए सेटलमेंट बोर्ड जाने की सलाह दी। सेटलमेंट बोर्ड आईबीएम से आय का मूल्यांकन कराने जा रहा है। इसके लिए बैठक का एक दौर हो भी चुका है और जल्दी ही इस पर फैसला होने की संभावना है।
यह है मामला
गौरतलब है कि 2012 में सुधीर शर्मा की कंपनी एसआर फेरो पर आयकर विभाग ने छापा मारा था। उसने इंडियन ब्यूरो ऑफ माइन्स (आईबीएम) के आकलन के मुताबिक कंपनी की आय की अप्रैजल रिपोर्ट बनाई थी। इस पर ही आय की गणना की गई थी, लेकिन शर्मा अपनी कंपनी पर निकाले गए टैक्स को गलत बताते हुए उसके खिलाफ सेटलमेंट बोर्ड गए थे।