बैतूल। सांसद ज्योति धुर्वे का जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया गया है। जानकारी के अनुसार जांच रिपोर्ट पीएस आदिवासी विकास विभाग को भेज दी गई है। ज्योति धुर्वे एक अप्रैल को जांच समिति के सामने उपस्थित हुई थी। बताया जाता है कि सांसद के दिए गए सबूत वंशावली के अनुरुप नहीं पाए गए। उच्च स्तरीय छानबीन समिति ने जांच के बाद सांसद का जाति प्रमाण पत्र रद्द किया है।
इस मामले में फिलहाल सांसद की प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है। सांसद के फर्जी जाति प्रमाण पत्र की शिकायत करने वाले अधिवक्ता शंकर पेन्द्राम ने मीडिया से कहा कि जनता के साथ और आदिवासियों के साथ नुकसान हो रहा था। उनके कारण आदिवासी का हक मारा गया। सांसद को अब इस्तीफा दे देना चाहिये। व़े साल 2008 में सांसद बनी। इसके बाद से ही जाति प्रमाण पत्र को लेकर विवाद चल रहा है। आरोप है कि ज्योति धुर्वे गैर आदिवासी हैं और आदिवासी होने का फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर ही वे बैतूल की आदिवासी सुरक्षित सीट से सांसद बनी हैं। यह मामला मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में विचाराधीन है आैर कोर्ट के आदेश पर आदिवासी विकास विभाग ने ज्योति धुर्वे के जाति प्रमाण पत्रों की जांच की थी।
कांग्रेस की मांग: ज्योति धुर्वे को जेल भेजो
प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने भारत निर्वाचन आयोग से आग्रह किया है कि वह तत्काल प्रभाव से सुश्री धुर्वे की लोकसभा की सदस्यता न केवल समाप्त करें, वरन् उनके विरूद्ध फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित बैतूल लोकसभा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचन में भाग लेकर चुनाव आयोग से धोखाधड़ी, फर्जी प्रमाण पत्र को असल रूप में प्रस्तुत करने को लेकर उनके विरूद्ध भादसं में उल्लेखित प्रावधानों के अनुसार आपराधिक प्रकरण दर्ज कर अभियोजन की कार्यवाही की जाये एवं सांसद के रूप में प्राप्त वेतन भत्ते, अन्य सुविधाओं में खर्च हुई व्यय राशि की भी वसूली की जाये। भारतीय जनता पार्टी को भी इस अपराध में सहभागी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि इतने बड़े आदिवासी बाहुल्य प्रदेश में उसके पास क्या कोई भी असल आदिवासी प्रत्याशी नहीं मिला, जिसे लेकर भाजपा को अपनी नैतिक जिम्मेदारी स्वीकारते हुए समूचे आदिवासी समुदाय से माफी मांगना चाहिए।