कहते हैं ना लगन और किस्मत एक साथ मिल जाएं तो सितारे चमकते नहीं है, आदमी खुद सितारा बन जाता है। राजस्थान के कुलवंत खेजरोलिया की कहानी कुछ ऐसी ही है। पिताजी ने नौकरी करने के लिए गांव से बाहर भेजा था। दादाजी को डर था छोरा कहीं बिगड़ ना जाए लेकिन कुलवंत तो कुछ और ही कर रहा था। गोवा में वेटर की नौकरी छोड़कर दिल्ली पहुंचा और क्रिकेट अकादमी ज्वाइन की। आज कुलवंत खेजरोलिया आईपीएल 10 में मुंबई इंडियंस की टीम से खेल रहा है।
झुंझुनूं के चूड़ी अजीतगढ़ गांव में इनके पिता शंकर सिंह की एक छोटी सी किराने की कच्ची दुकान है। यहां लोग लोग कुलवंत को छोटू कहकर बुलाते हैं। कुलवंत के पिता शंकर सिंह ने कहा कि उन्होंने तो कभी क्रिकेट नहीं खेला। बचपन में बेटा गिल्ली-डंडा जरूर खेलता था। पता नहीं छोटू (कुलवंत) ने क्रिकेट कहां से सीखा। वो तो नौकरी की तलाश में घर से बाहर गया था। पिताजी ने बताया कि वह चाहते थे कि छोटू शहर में कोई नौकरी कर दो जून की रोटी कमाए। और थोड़ी-बहुत बचत हो जाए तो हमारी मदद कर दे। गांव में तो इस दुकान से ज्यादा कमाई होती नहीं। लेकिन, छोटू हमेशा हर महीने कुछ रुपए घर जरूर भेजता है।
शंकर सिंह ने बताया कि दो-तीन साल पहले एक दिन उसका फोन आया कि वो गोवा से होटल की नौकरी छोड़कर दिल्ली आ गया है। और यहां एक क्रिकेट अकादमी में एडमिशन के लिए उसने कुछ रुपए मांगे, तब हमने रिश्तेदारों से पैसा उधार लेकर उसे दिए। इसके बाद उसका फोन आया कि उसका सपना जल्द पूरा होने वाला है। इसके बाद पता चला कि छोटू अंबानी की टीम में क्रिकेट खेल रहा है।
कुलवंत के पिता शंकर सिंह की गांव में किराना की छोटी सी दुकान है। इसी दुकान पर कुलवंत के दादाजी भी बैठते है। उन्होंने बताया कि शहर में पोता बिगड़ ना जाए इसकी चिंता हमेशा लगी रहती है। गांव में होने वाली खेलकूद प्रतियोगिता में भी जब कुलवंत बाहर खेलने जाता था। दादा शिव प्रसाद को हर समय यह चिंता सताती थी कि पोता गलत संगत में ना पड़ जाए। कुलवंत के दादा ने बताया कि छोटू जहां भी खेलने जाता शाम होते ही मैं उसे लेने चला जाता। उन्होंने कहा कि लेकिन अब ऐसा लगता है कि पोता सही रास्ते पर था। उसने हमारे कुल का नाम रोशन कर दिया। ये मेरे लिए जीवन की सबसे बड़ी खुशी है।