राजमाता के मायके में सिंधिया की गद्दारी का किस्सा सुना आए KV

भोपाल। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और ज्योतिरादित्य सिंधिया की तनातनी से कौन नावाकिफ़ है। कैलाश कभी कोई मौका नहीं चूकते। अटेर चुनाव के दौरान सीएम शिवराज सिंह ने 1857 का जिक्र छेड़ दिया। तत्समय उठे विवाद में तो शिवराज अकेले थे परंतु अब पूरी भाजपा सन् 57 की कहानियां सुना रही है। भिंड में एक यात्रा निकाली जा रही है। इधर कैलाश विजयवर्गीय भाजपा की संस्थापक सदस्य राजमाता विजयाराजे सिंधिया के मायके में सिंधिया की गद्दारी का किस्सा सुना आए। 

बात सागर की हो रही है। यहां पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में रविंद्र भवन में आयोजित, व्याख्यान माला में मुख्य वक्ता के रूप में शामिल, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने दीनदयाल जी की जमकर तारीफ की। वहीं सिंधिया परिवार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यदि सब कुछ ठीक रहता, तो 1857 में ही हमें आजादी मिल गई होती। उन्होंने कहा कि देश के कुछ लोगों ने ही गद्दारी की थी। जिन्होंने 1857 की क्रांति का इतिहास नहीं पढ़ा, वह एक बार अवश्य पढ़े, 1857 की क्रांति के दौरान जो मानसिकता काम की, तथा जिसने इस क्रांति को असफल किया, वह  मानसिकता आज भी विद्यमान है, जो हमे कहीं कहीं देखने को मिलती है।

राजमाता का सागर से रिश्ता 
बता दें कि राजमाता विजयाराजे सिंधिया का जन्म सागर के राणा परिवार में 12 अक्टूबर 1919 में हुआ था। उनके पिता श्री महेन्द्र सिंह ठाकुर अंग्रेजी शासनकाल में जालौन के डिप्टी कलेक्टर हुआ करते थे। ग्वालियर नरेश जीवाजीराव सिंधिया ने विजयाराजे सिंधिया से मोहित होकर विवाह प्रस्ताव भेजा था। 22 वर्ष की आयु में उनका विवाह हुआ और वो ग्वालियर राजघराने की रानी बनीं। 

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