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क्या था विवाद
राज्य शासन ने प्रदेश के महज 89 आदिवासी क्षेत्रों में कार्यरत इनसर्विस डॉक्टर्स को 30 प्रतिशत अतिरिक्त अंक दिए जाने की व्यवस्था दी थी। इसके खिलाफ ग्रामीण, दूरस्थ व अंदरूनी क्षेत्रों में कार्यरत डॉक्टर्स ने हाईकोर्ट की शरण ले ली। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। वहां से निर्देश के बाद मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मामले की नए सिरे से टाइम लिमिट के भीतर सुनवाई पूरी कर ली। इस दौरान कोर्ट ने साफ किया कि राज्य ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों को बलाए ताक रखकर मनमाने तरीके से नियम बनाकर इनसर्विस आवेदकों का हक मारा है। इसलिए नए सिरे से पीजी काउंसिलिंग न्यायहित का तकाजा है।
500 पीजी कोर्स के लिए 25 मार्च से शुरू हुई काउंसिलिंग
उल्लेखनीय है कि राज्य शासन द्वारा 500 पीजी कोर्स के लिए 25 मार्च से काउंसिलिंग शुरू कराई थी। यह काउसिलिंग तीन चरणों में 20 मई तक संचालित होनी थी। लेकिन याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता, आदित्य संघी व संजय अग्रवाल ने ऐसे तर्क प्रस्तुत किए, जिनके आगे सरकार की एक नहीं चली। हाईकोर्ट के आदेश के साथ ही 30 प्रतिशत अतिरिक्त अंक मिलने पर याचिकाकर्ताओं को 200 रैंक का इजाफा मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुई निरंतर सुनवाई
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत 24 से 28 अप्रैल तक दिन-प्रतिदिन निरंतर सुनवाई के बाद अंतिम फैसला दिया गया।