पीजी काउंसिलिंग: हाईकोर्ट में हार गई शिवराज सरकार, फिर से होगी प्रवेश प्रक्रिया | MEDICAL

Bhopal Samachar
जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य शासन को पुन: पीजी काउंसिलिंग कराने के निर्देश दिए हैं। इस दौरान ग्रामीण, दूरस्थ व अंदरूनी क्षेत्रों में कार्यरत डॉक्टर्स को 30 प्रतिशत अतिरिक्त अंकों का लाभ दिए जाने की व्यवस्था दी गई है। इसी के साथ राज्य सरकार को जोर का झटका लगा। ऐसा इसलिए क्योंकि पीजी काउसिलिंग प्रक्रिया के गति पकड़ने के साथ ही अब तक 350 प्रवेश भी कर लिए गए थे। सोमवार को न्यायमूर्ति आरएस झा व जस्टिस एके जोशी की युगलपीठ ने 50 से अधिक इनसर्विस डॉक्टर्स की याचिका पर अंतिम सुनवाई के बाद 95 पृष्ठीय महत्वपर्ण आदेश सुनाया। इसके तहत वरीयता सूची फिर से तैयार करके प्रवेश प्रक्रिया/काउंसिलिंग सम्पन्न् करने कहा गया है।

क्या था विवाद
राज्य शासन ने प्रदेश के महज 89 आदिवासी क्षेत्रों में कार्यरत इनसर्विस डॉक्टर्स को 30 प्रतिशत अतिरिक्त अंक दिए जाने की व्यवस्था दी थी। इसके खिलाफ ग्रामीण, दूरस्थ व अंदरूनी क्षेत्रों में कार्यरत डॉक्टर्स ने हाईकोर्ट की शरण ले ली। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। वहां से निर्देश के बाद मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मामले की नए सिरे से टाइम लिमिट के भीतर सुनवाई पूरी कर ली। इस दौरान कोर्ट ने साफ किया कि राज्य ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों को बलाए ताक रखकर मनमाने तरीके से नियम बनाकर इनसर्विस आवेदकों का हक मारा है। इसलिए नए सिरे से पीजी काउंसिलिंग न्यायहित का तकाजा है।

500 पीजी कोर्स के लिए 25 मार्च से शुरू हुई काउंसिलिंग
उल्लेखनीय है कि राज्य शासन द्वारा 500 पीजी कोर्स के लिए 25 मार्च से काउंसिलिंग शुरू कराई थी। यह काउसिलिंग तीन चरणों में 20 मई तक संचालित होनी थी। लेकिन याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता, आदित्य संघी व संजय अग्रवाल ने ऐसे तर्क प्रस्तुत किए, जिनके आगे सरकार की एक नहीं चली। हाईकोर्ट के आदेश के साथ ही 30 प्रतिशत अतिरिक्त अंक मिलने पर याचिकाकर्ताओं को 200 रैंक का इजाफा मिलेगा। 

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुई निरंतर सुनवाई
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत 24 से 28 अप्रैल तक दिन-प्रतिदिन निरंतर सुनवाई के बाद अंतिम फैसला दिया गया। 

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!