शैलेन्द्र गुप्ता/भोपाल। मोदी सरकार 3 साल पूरे होने पर जश्न मना रही है। इधर कांग्रेस ने अपने दिग्गजों को सरकार की पोल खोलने के लिए भेजा है। इसी श्रृंखला में आज यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर मप्र की राजधानी भोपाल में थे परंतु उनकी प्रेस कांफ्रेंस बेकार से ज्यादा बोरिंग साबित हुई। शायद उन्हे पता ही नहीं था कि वो मीडिया से मुखातिब हो रहे हैं। उन्होंने आते ही भाषण देना शुरू कर दिया। मानो वो किसी नुक्कड़ सभा को संबोधित कर रहे हों। जब पत्रकारों ने सवाल पूछे तो एक के बाद एक टालते चले गए। कुल मिलाकर 70 मिनट की मैराथन प्रेस कांफ्रेंस में वो मोदी सरकार पर कोई बड़ा या नया हमला नहीं कर पाए। प्रेस कांफ्रेंस महज एक खानापूर्ति बनकर रह गई।
कांग्रेस नेता राजबब्बर ने कहा है कि कांग्रेस लोगों के दिलों में है। पीएम नरेंद्र मोदी के तीन साल के कार्यकाल के जश्न के तंबू के पीछे क्या है? इसका खुलासा किया जाना चाहिए। उन्होंने राज्य सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि 13 साल से एमपी में एक व्यक्ति तथा छत्तीसगढ़ में 14 साल से एक व्यक्ति सरकार चला रहा है और बीजेपी के लोग कांग्रेस पर व्यक्तिवाद की तोहमत लगाते हैं। पीसीसी में पत्रकारों से चर्चा करते हुए राजबब्बर ने कहा कि जम्मू कश्मीर में बीजेपी ने कुर्सी तो हथिया ली पर कश्मीर को जलता छोड़ दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये लोग सेना के जरिये सियासत कर रहे हैं और रक्षा का बजट कम कर रहे हैं। कश्मीर में सरेआम पाक के झंडे लहराए जाते हैं और सैनिकों का अपमान हो रहा है पर पीएम के माथे पर शिकन नहीं आती। उन्होंने नक्सली हमलों पर भी सवाल उठाए।
उत्तरप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और अभिनेता राज बब्बर बुधवार को भोपाल पहुंचे। पीएम मोदी के तीन सालों के कार्यकाल पर निशाना साधते हुए उन्होंने सरकार को विफल बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा युवा, व्यापारी और किसानों को निराश करने वाली सरकार है।
अपने अंदाज में कांग्रेस की सभा को संबोधित करते हुए राज बब्बर ने कहा कि, आतंकवाद के नाम पर भी सरकार पूरी तरह असफल साबित हो गई है। भाजपा ने सत्ता में आने के लिए बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन न युवाओं को रोजगार मिला और न ही व्यापार बढ़ा। इन तीन सालों में किसान व्यापारी युवा और आमजन सब परेशान हैं। न आतंकवाद कम हुआ ना बेरोजगारी। राजबब्बर ने कहा है कि युवाओं को रोजगार दिलाने के वादे करने वाली सरकार अब भी योजनाओं में उलझी हुई है।
सशस्त्र सेनाओं के बजट पर समझौते का आरोप लगाते हुए बब्बर ने कहा कि सशस्त्र सेनाओं की बजट बढ़ाने की मांग को ठुकराते हुए सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में 8 हजार करोड़ से ज्यादा का बजट कम किया है। पिछले वित्तीय वर्ष में 32 हजार करोड़ से ज्यादा के बजट का इस्तेमाल नहीं हुआ। सशस्त्र सेनाओं को 10 हजार अफसरों, 25 हजार जेसीओ और 50 हजार से ज्यादा जवानों की जरूरत है, लेकिन सरकार भर्ती नहीं करवा रही है। उधर कश्मीर जल रहा है। घाटी में जवान शहीद हो रहे हैं। आम आदमी मारे जा रहे हैं। पाकिस्तानी झंडे फहराए जा रहे हैं, इसके बाद भी भाजपा और पीडीपी की सरकार कुछ नहीं कर रही है।