भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पर्यावरण की चिंता के नाम पर पॉलीथीन कैरी बैग पर प्रतिबंध तो लगा दिया परंतु यह महज एक घोषणा बनकर रह गया। बाजार पर इस प्रतिबंध का कोई असर दिखाई नहीं दिया। यहां तक कि अधिकारियों ने भी पॉलीथीन कैरी बैग के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। अफसरों का कहना है कि अब तक उन्हे आदेश ही नहीं मिला। इधर व्यापारियों का कहना है कि पॉलीथीन कैरी बैग बंद कर देंगे तो बाजार कैसे चलेगा। सरकार को विकल्प भी देना चाहिए।
नर्मदा सेवा यात्रा शुरू होने के साथ ही सरकार ने पॉलीथीन कैरी बैग पर प्रतिबंध की तैयारी कर ली थी। पर्यावरण विभाग की देखरेख में राज्य प्रदूषण निवारण मंडल इस पर काम कर रहा था। सरकार को यह निर्णय लेने में करीब चार महीने लगे, पर इस बीच वैकल्पिक तैयारियों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। इस स्थिति में जानकारों का मानना है कि बाजार में पॉलीथीन कैरी बैग का विकल्प न होने के कारण अब चोरी-छिपे पॉलीथीन का इस्तेमाल होगा। दुकानदार ग्राहकों को मना नहीं कर पाएंगे। जिससे सरकार की मंशा पूरी होती दिखाई नहीं देती है।
व्यापारियों का अपना तर्क
न्यू मार्केट के व्यापारी हरीश कुमार ने पॉलीथीन पर रोक के बाद कपड़े के थैले मंगा लिए हैं। उनका कहना है कि ये थैला 1.50 रुपए से लेकर 3 रुपए का पड़ेगा, जो उपभोक्ता सामान खरीदेगा उसे ही थैला दिया जाएगा। इधर पॉलीथीन विक्रेता मनीष तनवानी का कहना है कि भोपाल में प्रतिदिन 10 से 15 लाख रुपए का पॉलीथीन का कारोबार होता है। रोक लगने के बाद अब व्यापारियों को अपना स्टाक खत्म करने के लिए टाइम लिमिट मिलनी चाहिए।
शहर के लोग जागरूक नहीं
बाजार में सामान लेने आए चार अलग-अलग उपभोक्ताओं ने पॉलीथीन पर प्रतिबंध को लेकर जब बात की गई तो उनका कहना था कि वे थैला लेकर आए थे, लेकिन व्यापारी अपने स्टाक से पॉलीथीन दे रहे हैं तो हमने भी ले ली। पॉलीथीन मिलना बंद हो जाए तो उपयोग भी बंद हो जाएगा। चारों में से एक ने भी व्यापारी से पॉलीथीन में सामान लेने से इनकार नहीं किया। इसका सीधा मतलब है कि शहर के लोग भी प्रतिबंध को लेकर जागरूक नहीं हैं।
अमल को लेकर जिम्मेदार बेपरवाह
नगर निगम के अपर आयुक्त एमपी सिंह के मुताबिक अभी शासन से पॉलीथीन पर प्रतिबंध के कोई आदेश नहीं मिले हैं। आदेश मिलने पर निगम अपनी तैयारी शुरू करेगा। पॉलीथीन का उपयोग करने वाले दुकानदारों पर नियमानुसार कार्रवाई करने की योजना बनाई जाएगी। अधिकारियों व कर्मचारियों की टीम गठित की जाएगी। वहीं खाद्य एवं औषधि नियंत्रण विभाग के संयुक्त नियंत्रक प्रमोद शुक्ला का कहना है इस मामले की मॉनीटरिंग और कार्रवाई दोनों नगर निगम करेगा।
बगैर विकल्प आदत बदलना मुश्किल
पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. सुदेश वाघमारे कहते हैं कि इतना बड़ा निर्णय लेने से पहले सरकार को पूरी तैयारी करना थी। वे कहते हैं कि ग्राहक को खाली हाथ बाजार जाने की आदत है, जो इतने जल्दी नहीं बदल सकती है। इसलिए 'बायो डिग्रेडेबल प्लास्टिक' बैग का विकल्प दिया जा सकता था। ये प्लास्टिक तीन माह में नष्ट हो जाती है। जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होता है। वहीं इससे उन दुकानदारों को भी रोजगार मिल जाता, जो अभी तक पॉलीथीन कैरी बैग का उत्पादन या व्यापार करते रहे हैं।
वैकल्पिक व्यवस्था पर कर रहे विचार
पर्यावरण एवं नगरीय विकास व आवास विभाग के प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव का कहना है कि यह प्रक्रियागत व्यवस्था है। दुनिया में कोई ऐसा देश या शहर नहीं है जहां एकदम से पॉलीथीन का उपयोग खत्म कर दिया गया हो। आदेश जारी किए जा चुके हैं। शासन, प्रशासन और नगरीय निकाय मिलकर वैकल्पिक व्यवस्था करेंगे। एनजीओ की मदद से जनता को जागरूक भी किया जाएगा, ताकि वे चोरी-छिपे भी पॉलीथीन का इस्तेमाल न करें।
ये रहेगा बैन
सभी पॉलीथीन कैरी बैग के उत्पादन, परिवहन, भंडारण, विक्रय और उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा।
पैकेजिंग वाले कैरी बैग का दोबारा इस्तेमाल प्रतिबंधित होगा।
उल्लंघन पर जेल का प्रावधान
पॉलीथिन कैरी बैग पर प्रतिबंध जैव अपशिष्ट अनाश्य (नियंत्रण) अधिनियम 2004 में संशोधन कर लगाया जा रहा है।
अधिनियम के तहत कानून का उल्लंघन करने पर पहली बार में एक महीने की जेल या 1 हजार रुपए का जुर्माना या दोनों की सजा होगी।
दूसरी बार या इससे ज्यादा बार कानून का उल्लंघन होने पर तीन महीने की जेल या पांच हजार रुपए जुर्माना या दोनों की सजा मिलेगी।