भोपाल। स्कूली बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए राज्य सरकार एक और प्रयोग करने जा रही है। अब प्रदेश के 84 हजार सरकारी प्राइमरी स्कूलों का मध्याह्न का मीन्यू बदला जा रहा है। इन स्कूलों के बच्चों को मिल्क पाउडर की बजाय फ्लेवर्ड मिल्क दिया जाएगा। वहीं आदिवासी बहुल 83 ब्लॉकों में बच्चों को दोपहर के भोजन में चिक्की व लड्डू खिलाए जाएंगे। सरकार इस पर करीब 400 करोड़ रुपए खर्च करेगी। ये राशि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग देगा।
प्राइमरी स्कूलों को अभी पाउडर वाला दूध दिया जाता है। इसमें चार फ्लेवर हैं, लेकिन बच्चे इस दूध को पीने में आनाकानी करते हैं। इसे देखते हुए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने प्राइमरी स्कूल और आंगनवाड़ी के बच्चों को फ्लेवर्ड मिल्क देने का प्रस्ताव तैयार किया था, जिस पर सहमति बन गई है।विभाग शहरी क्षेत्रों में फ्लेवर्ड मिल्क देगा, जबकि ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में अमूल ट्रेटा पैक दिया जाएगा। ये दूध 15 दिन तक सुरक्षित रहता है।
सूत्र बताते हैं कि पहले स्कूल और आंगनबाड़ी के लिए संयुक्त योजना बनाई गई थी, लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों ने पाउडर को ही चलाने को कहा। इसलिए योजना से आंगनबाड़ी हटा दी गईं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि हम मध्या- भोजन में बच्चों को पोष्टिक खाना देने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए मीन्यू बदला जा रहा है। कुपोषण की समस्या वाले 85 विकासखंडों में विशेष ध्यान दिया जाएगा।