
9 मई को क्या हुआ था?
भिड़ंत के दौरान PML-N के समर्थक वकीलों ने SCBA के प्रेसिडेंट राशीद ए. रिजवी को लाहौर हाईकोर्ट की लाइब्रेरी में बंद कर दिया था। जब इस बात की खबर SCBA के मेंबर्स को मिली तो उन्होंने हंगामे के दौरान ही किसी तरह रिजवी को वहां से निकाला।
ज्वाइंट स्टेटमेंट में क्या कहा गया?
दोनों बार एसोसिएशन ने ज्वाइंट स्टेटमेंट में कहा है कि फेयर और इंडीपेन्डेंट इन्क्वायरी के लिए और ज्वाइंट इन्वेस्टिगेशन टीम (JIT) की फाइनल रिपोर्ट आने तक शरीफ को पीएम के पद पर नहीं रहना चाहिए। अगर वे 27 मई तक इस्तीफा नहीं देते हैं तो वकील पूरे देश में आंदोलन छेड़कर उन्हें इसके लिए मजबूर कर देंगे। उधर, PML-N के लॉयर्स विंग के रिप्रेजेंटेटिव्स का कहना है कि पनामा पेपर्स लीक मामला कोर्ट के अधीन है, लिहाजा अभी शरीफ के इस्तीफे की मांग करना सही नहीं है। बता दें कि अप्रैल में भी LHCBA ने ऐसा ही एक अल्टीमेटम शरीफ को दिया था और एक हफ्ते के अंदर उन्हें इस्तीफा देने को कहा था।
शरीफ के भारत में बिजनेस इंट्रेस्ट की भी जांच हो: इमरान
उधर, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के चीफ इमरान खान ने कहा है कि पनामा पेपर लीक मामले में नवाज के खिलाफ जांच कर रही JIT को उनके भारत में बिजनेस इंट्रेस्ट्स की भी जांच करनी चाहिए। इमरान ने कहा है, "शरीफ जनता की कमाई को उसी तरह लूट रहे हैं जैसे कभी ईस्ट इंडिया कंपनी ने लूटा था।"
नवाज क्यों सवालों के घेरे में?
अप्रैल 2016 में पनामा पेपर्स लीक का मामला सामने आया था, जिसमें नवाज शरीफ के परिवार के कुछ लोगों पर विदेश में कंपनियां खोलने और वहां प्रॉपर्टीज रखने का आरोप लगा था। पनामा पेपर्स के मुताबिक नवाज शरीफ के बेटों हुसैन और हसन के अलावा बेटी मरियम नवाज ने टैक्स हैवन माने जाने वाले ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में कम से कम चार कंपनियां शुरू की। इन कंपनियों से इन्होंने लंदन में छह बड़ी प्रॉपर्टीज खरीदीं। शरीफ फैमिली ने इन प्रॉपर्टीज को गिरवी रखकर डॉएचे बैंक से करीब 70 करोड़ रुपए का लोन लिया। इसके अलावा, दूसरे दो अपार्टमेंट खरीदने में बैंक ऑफ स्कॉटलैंड ने मदद की। नवंबर 2016 में पाक सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की ज्यूडीशियल कमीशन से जांच का आदेश दिया था। हालांकि शरीफ परिवार ने इन आरोपों को खारिज किया है।