
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और सांसद श्री प्रभात झा समयदानी विस्तारक कार्यकर्ता के रूप में सिंधिया की लोकसभा सीट में सक्रिय हैं। यहां वो पीएम मोदी या सीएम शिवराज सिंह सरकार की योजनाओं की जानकारी से ज्यादा सिंधिया विरोधी बयान देने में मशरूफ हैं। सूत्रों का कहना है कि यह सबकुछ इसलिए क्योंकि वो चाहते हैं कि उनका नाम सिंधिया विरोधी दिग्गज नेताओं में शामिल हो जाए। पिछले दिनों उन्होंने सिंधिया की संपत्ति को लेकर एक चिट्ठी लिखी थी। अब कुछ सुर्खियों वाले बयान जारी किए हैं।
फायदा क्या होगा
सब जानते हैं कि मप्र में शिवराज सिंह चौहान विरोधी लहर चल रही है। भाजपाई पंडितों का आंकलन है कि यह लहर केवल शिवराज सिंह विरोधी है, भाजपा विरोधी नहीं है। पूरी उम्मीद है कि इस बार चुनाव प्रचार में सिंधिया तेजी से आगे आएंगे। लोकलुभावन भाषण देने वाले शिवराज सिंह केवल ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ मुकाबले में मात खा जाते हैं। सिंधिया की सभाएं शिवराज की सभाओं पर भारी पड़तीं हैं। माना जा रहा है कि चुनाव से ऐन पहले भाजपा अपना चैहरा बदल देगी। भाजपा का नया चैहरा वो होगा जो सिंधिया को मात दे सके। बस यही गणित प्रभात झा को लालायित कर रहा है। यदि उन्होंने सिंधिया को तंग कर लिया और भाजपा में यह प्रमाणित हो गया कि प्रभात झा अेकेले ऐसा नेता हैं जो ज्योतिरादित्य सिंधिया की घेराबंदी कर सकते हैं तो वो आसानी से शिवराज सिंह का विकल्प हो सकते हैं।
पुरानी मुराद का क्या तात्पर्य
प्रभात झा मध्यप्रदेश में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। इस दौरान उन्होंने खूब काम किया। लगभग पूरा प्रदेश नापा। कार्यकर्ताओं से मिले, दौरे किए। वो कभी भी नंदकुमार सिंह चौहान की तरह शिवराज सिंह की रबर स्टैंप बनकर नहीं रहे। उनकी लोकप्रियता इस कदर बढ़ती गई कि उन्हे शिवराज सिंह का विकल्प माना जाने लगा था। कहा जाता है कि इसी घबराहट के चलते शिवराज सिंह ने लास्ट सेकेंड में फैसला बदलवाया और प्रभात झा को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाकर नरेन्द्र सिंह तोमर को बनवा दिया। तत्समय प्रभात झा ने भी इसे पोखरण के समान परमाणु धमाका कहा था। अब वक्त लौटकर एक मौका दे रहा है। कहा जा सकता है कि प्रभात झा इस अवसर का पूरा लाभ उठाना चाहते हैं।