
अपने प्रवचन की शुरुआत करते हुए संत श्री राजेश रामायणी जी ने संगीतमय स्वरूप में राम की महिमा बताते हुए कहा कि सभी को राम नाम का भजन अवश्य करना चाहिए। इसी से सबके दुख भी कट रहे हैं। उन्होंने कहा कि मन बड़ा चंचल है और भजन में मन नहीं लगता है लेकिन इस मन पर नियंत्रण स्थापित करना चाहिए और भजन में मन लगाना चाहिए। राम नाम की महिमा बताते हुए जब उन्होंने राम के भजन सुनाए तो श्रोता भावविभोर हो उठे। बाद में बाल विदुषी मानस मंजरी सुश्री आस्था व्यास ने अपने प्रवचन में भक्त और भगवान पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि जो भक्त भगवान को सच्चे मन से याद करता है भगवान उसको साक्षात दर्शन देते हैं। वह भक्त ही उनके भगवान को पहचान पाता है कोई अन्य इस पहचान से विरक्त ही रहता है। भगवान अपने भक्त के लिए किसी न किसी रूप में प्रकट हो जाते है। यह विवेक पर निर्भर है कि वह भगवान को पहचाने। विवेक कहां से आएगा, जब सत्संग करोगे तभी विवेक मिलेगा। इसलिए सत्संग बहुत जरूरी है।
सुबह हुई रामयज्ञ की शुरुआत
इससे पूर्व विशाल श्रीराम महायज्ञ की शुरुआत आज सुबह हुई जब विद्वान यज्ञाचार्यों की उपस्थिति में यजमान द्वारा पूजा आराधना की गई। श्री रामनगर शास्त्री यज्ञाचार्य, श्री हरिओम शास्त्री एवं अन्य विद्वानों द्वारा यज्ञशाला का जयमानों से पूजन कराया गया। इसके उपरांत हवन आदि का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। पूज्य संत श्री पागल बाबा ने यजमानों को आशीर्वाद प्रदान किया। मंच संचालन श्री राधाकृष्ण नायक ने किया तथा मंडल अध्यक्ष श्री विजयसिंह समेत विभिन्न कार्यकर्ताओं ने संतों का स्वागत किया।
आगे का कार्यक्रम-
9 मई तक प्रतिदिन सुबह 7 से 11 बजे तक महायज्ञ होगा तथा शाम 4 से 6 बजे तक प्रवचन और शाम 7 बजे से प्रतिदिन रामलीला और रासलीला का कार्यक्रम होगा। कल शुक्रवार 5 मई को अयोध्या धाम से पधारे पूज्य संत श्री रामशरण रामायणीजी, वृंदावन धाम से पधार रही सुश्री आस्था व्यास और जालोन से पहुंची सुश्री रश्मि शर्मा के प्रवचन होंगे। परम पूज्य संत श्री नृत्यगोपाल दास जी के प्रवचन 6 मई से प्रारंभ होंगे। महायज्ञ की पूर्णाहुति और विशाल भंडारा 9 मई को होगा।