
मन के कारण सुख और दुख
मन ही समस्त कर्मों का कारक है मन मे विचार आते है भावना बनती है और कर्म होते है। मन में लालच जाग गय़ा तो गलत कर्म होंगे। फलस्वरूप पतन भी होगा दरिद्रता आपको घेर लेगी।पुण्यकर्म होंगे तो धीरे धीरे सुख और समृध्दि का आगमन होगा।
मनोकामना पूर्ण करने वाला सत्य नारायणव्रत
पूर्णिमा तिथि अत्यंत शक्तिशाली तथा सभी मनोरथ को पूर्ण करने मे सक्षम है। इस दिन चंद्रमा पूर्ण रहता है। चूँकि चंद्रमा मन का स्वामी है तथा वह पूर्ण है इसिलिये इस दिन सत्य भाव से परमात्मा की प्रार्थना करने से प्रत्येक व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण होती है। शर्त केवल इतनी सी है की आप सच्चे हो सत्यवादी हो यह संकल्प करके आप पूर्णिमा के दिन व्रत करेंगे तो आपकी सभी मनोकामना पूर्ण होगी। इस तिथि के देवता है सत्य है।
व्रत की विधि
इस व्रत को कोई भी कर सकता है किसी भी धर्म का व्यक्ति यह व्रत कर सकता है। जिस दिन पूर्णिमा हो उस दिन भगवान से सत्यवादी होने का संकल्प कर इस दिन नियमित आहार विहार करें। दिन भर परमात्मा का स्मरण करें। सनातन धर्मी इस दिन सत्यनारायण व्रत की कथा करते है लेकिन इस कथा का सार सत्य पर अडिग रहना ही है।
सत्यनारायण व्रत का फल
इस व्रत का फल यह है की भगवान आपकी मनोकामना पूर्ण करता है आपके जीवन से जुड़ी आवश्यकता पूर्ण करता है इस व्रत को पूर्णिमा के दिन करना चाहिये। कम से कम 12 पूर्णिमा यानी एक वर्ष यह व्रत करना चाहिये निश्चित रूप से सफलता मिलती है। व्यक्ति के जीवन से निराशा दरिद्रता, अभाव ख़त्म होता है। जीवन मे सफलता मिलती है। मन को आनंद व शुकून मिलता है।
पंडित चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"
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