भोपाल। मप्र राज्य सूचना आयोग ने लोक सेवा केन्द्रों को सूचना के अधिकार के दायरे में लाने का अहम फैसला सुनाया है। आयोग ने इन केन्द्रों की यह दलील नामंजूर कर दी है कि ये केन्द्र शासकीय निकाय नहीं हैं, बल्कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर निजी रूप से संचालित किए जा रहे हैं, इसलिए सूचना के अधिकार के तहत जानकारी देने को बाध्य नहीं है। राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने इस संबंध में दायर अपील पर सुनवाई करने के बाद आदेश दिया है कि अपीलार्थी को लोक सेवा केन्द्र से संबंधित चाही गई जानकारी 15 दिन में निःशुल्क मुहैया करा कर पालन प्रतिवेदन पेष किया जाए।
आयुक्त ने फैसले में स्पष्ट किया है कि लोक सेवा केन्द्र जनता की चुनी हुई सरकार द्वारा, जन हित में, जन धन से संचालित किए जा रहे हैं । ये केन्द्र राज्य शासन के प्रत्यक्ष नियंत्रणाधीन हैं। इन केन्द्रों को शासन द्वारा लोक सेवा गारंटी कानून के अंतर्गत लाया गया है। इन केन्द्रों के माध्यम से सरकार द्वारा निर्देषित जनता से जुड़े काम कराए जा रहे है। म.प्र. शासन द्वारा निजी निकाय से अनुबंध कर लोक हित में ये केन्द्र संचालित किए जा रहे है।
लोक सेवा प्रबंधन विभाग व राजस्व विभाग द्वारा परिपत्र जारी कर इन केन्द्रों की कार्यप्रणाली तय की गई है और इन केन्द्रों द्वारा विभिन्न सेवाएं प्रदान करने हेतु नागरिकों से लिए जाने वाले शुल्कों का निर्धारण किया गया है। इन केन्द्रों द्वारा आवेदन अमान्य किए जाने या आवेदन का निराकरण समय सीमा में न किए जाने पर नागरिकों को प्रथम व द्वितीय अपील करने का अधिकार भी शासन द्वारा दिया गया है और इन केन्द्रों के विरूद्ध शास्ति अधिरोपित करने का प्रावधान भी किया गया है।
फैसले में कहा गया है कि लोक सेवा केन्द्र शासन के आदेश द्वारा शासन के सीधे नियंत्रण के अधीन चलाए जा रहे हैं और शासन द्वारा इन केन्द्रों के माध्यम से संपादित कराए जा रहे कार्य लोक क्रियाकलाप की श्रेणी में आते हैं। अतः सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 2 (एच) के तहत ये केन्द्र लोक प्राधिकारी की पहुंच में आते हैं और सूचना के अधिकार के तहत नागरिकों द्वारा लोक सूचना अधिकारी से चाही गई जानकारी देने के लिए बाध्य हैं।
यह था मामला: अपीलार्थी सतेन्द्र कुमार ने लोक सूचना अधिकारी/तहसीलदार से लोक सेवा केन्द्र, गोहद (भिण्ड) से संबंधित जानकारियां मांगी थी । लोक सूचना अधिकारी ने लोक सेवा केन्द्र को जानकारी उपलब्ध कराने हेतु निर्देषित किया । जानकारी मुहैया न कराने पर लोक सूचना अधिकारी ने इस केन्द्र को लिखित चेतावनी भी दी कि वांछित जानकारी तुरंत न देने पर उसका अनुबंध तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की कार्यवाही की जाएगी । इसके बावजूद इस केन्द्र ने अपेक्षित जानकारी नहीं दी । प्रथम अपीलीय अधिकारी/एसडीओ द्वारा जानकारी शीघ्रताषीघ्र देने हेतु आदेषित किए जाने के बाद भी लोक सेवा केन्द्र ने अपेक्षित जानकारी मुहैया नहीं कराई । इस पर सूचना आयोग में द्वितीय अपील पेष किए जाने पर आयुक्त आत्मदीप ने आदेष पारित किया है कि चाही गई शेष जानकारी 15 दिन में अपीलार्थी को निःषुल्क प्रदाय कर दि. 30/05/17 तक आयोग के समक्ष सप्रमाण पालन प्रतिवेदन पेष किया जाए। अन्यथा सूचना न देने वाले के विरूध्द धारा 19 व 20 के तहत दंडात्मक प्रावधान आकर्षित होंगे।