भोपाल। हमेशा बेहतर नंबर लाने से ही जीवन में सफलता नहीं मिलती है। क्लास में टॉप रैंक हासिल न करने वाले बच्चे भी जिंदगी में सफल रहते हैं। भोपाल साउथ के एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा मानते हैं कि जिंदगी में हमेशा सफलता को बेहतर अंकों से नहीं आंका जाना चाहिए। उनके शब्दों में, स्कूलिंग के दौरान मैं भी कक्षा में टॉप तीन बच्चों में शामिल नहीं था। कक्षा सातवीं में तो बस पासिंग मार्क्स ही हासिल किए थे। फेल होने से बाल-बाल बचा था पर 10वीं-12वीं में अच्छे नंबर हासिल किए थे।
मैंने पहली ही बार में यूपीएससी परीक्षा पास कर ली थी ऐसा नहीं है। तीन बार के अटेम्प के बाद यूपीएससी एक्जाम क्रेक किया। लाइफ में आईपीएस अधिकारी बनने का सपना देखा था, जो कड़ी मेहनत के दम से पूरा हुआ। बहुगुणा मानते हैं कि जिंदगी में 10वीं-12वीं के नंबर उतना महत्वपूर्ण नहीं है। इसीलिए कम नंबर आने पर डरें नहीं। खुद को कमजोर मानकर जिंदगी से हार न मानें क्योंकि 12वीं कक्षा के परिणाम आपकी मंजिल नहीं है. अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर मेहनत करें और अपने सपनों को सच करें।
कम नंबर आने पर बच्चों के माता-पिता को बहुत सहयोग करने की जरूरत है.वे बच्चों पर दवाब न बनाएं. हमेशा बच्चों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें, क्योंकि लाइफ में उन्होंने बहुत से उतार-चढ़ाव और मुश्किल हालात का सामान किया है तो अपने अनुभवों से बच्चों को समझाएं.आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट करें।