भगवान राम मां सीता तथा लक्ष्मण जी ने वनवास के समय चित्रकूट मे अपना अधिकतर समय व्यतीत किया। चित्रकूट मे अपने रहने के लिये लक्ष्मण जी ने जिस स्थान का चयन किया वह उनके कुशल वास्तुविद होने का प्रमाण है। उन्होने प्रभु से कहा की यह भूमि दक्षिण दिशा मे उठी हुई है साथ ही उत्तर दिशा मे धनुषाकार नाला बह रहा है यह जगह निवास के लिये उत्तम है।प्रभु लक्ष्मण ने वास्तु के सिद्धांत "दक्षिण उठा हुआ तथा उत्तर खुला हुआ साथ मे वहां पानी का स्थान रहना चाहिये" उसका अनुगमन किया।
सभी के लिये अलग वास्तु
वास्तु की दिशाएं निश्चित है लेकिन अलग अलग 12 राशियों के लिये वास्तु और दिशाएं का महत्व अलग है। कर्क राशि के लिये उत्तर दिशा लाभकारी है वहीं मकर राशि वालों के लिये परम हानिकारक है। मीन राशि के लिये पश्चिम दिशा हानिकारक है वहीं तुला राशि के लिये पश्चिम दिशा परम लाभकारी है। इस तरह हमे यह देखना पड़ेगा की हमारे पूरे परिवार मे किस राशि के कितने लोग है तब उसके अनुसार हमे पूरे परिवार के लिये लाभदायक दिशा का चयन करना पड़ेगा।
ग्रहों के दो वर्ग
प्रथम वर्ग- सूर्य, चंद्र, मंगल, गुरु (सिंह, कर्क, मेष, वृश्चिक, धनु, मीन)।
द्वितीय वर्ग- बुध, शुक्र, शनि (मिथुन, कन्या, वृषभ, तुला, मकर, कुम्भ)।
प्रथम वर्ग के लिये वास्तु
मानलो हमारा परिवार प्रथम वर्ग मे आता है तो हमारे लिये उत्तर, पूर्व, दक्षिण दिशा भी शुभ होगी। सबसे शुभ उत्तरपूर्व होगा। जिसमे हम मुख्यद्वार भगवान का स्थान व्यावसायिक संस्थान की बैठक हिसाब किताब कर सकते हैं। ऐसा करने से आपके परिवार मे उन्नति धन वृद्धि तथा खुशहाली आयेगी। पश्चिम और दक्षिण पश्चिम दिशा को बंद करना पड़ेगा। इस जगह पर गोदाम बना सकते है। यदि हम प्रथम वर्ग से है तथा हमारी उत्तर दिशा मे शौचालय, गंदगी और गोदाम है तो हम दिनबदिन कर्जदार और परेशान हो जायेंगे घर मे बीमारी का वास हो जायेगा शत्रु हम पर हावी हो जायेंगे।
द्वितीय वर्ग के लिये वास्तु
यदि हमारे परिवार के सभी सदस्य द्वितीय वर्ग के है तो हमारे लिये दक्षिण पश्चिम पूर्व दिशा लाभदायक हो सकती है उतर दिशा हमारे लिये हानिकारक होगी। हमे हमारी दुकान, संस्थान, कारखाने का मुख पश्चिम और दक्षिण की ओर कर सकते है। चूँकि हमारे लिये यह दिशा शुभ है लेकिन यह दिशा राहु केतु शनि तथा मंगल की भी है। इसिलिये हनुमान, काल भैरव के पूजन पाठ से इस जगह का अच्छा लाभ आप ले सकते है। उत्तर दिशा आपके लिये अशुभ है फ़िर भी आपको यह दिशा साफ और स्वच्छ रखना पड़ेगी। दुकान संस्थान का केश काउंटर तिजोरी आप पूर्व दिशा मे रख सकते है। द्वितीय वर्ग वालो को कारखाने मशीनरी के कामों मे विशेष लाभ का योग रहता है।
पंडित चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"
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