इंदौर। अब तक टिकट निरीक्षक सहित अन्य पदों पर सेवाएं देने वाली महिलाओं ने ट्रेन की कमान थाम ली है। संध्या यादव रतलाम मंडल की पहली मुख्य चालक बन गई हैं। वे मंगलवार दोपहर 12.35 बजे मालगाड़ी लेकर भोपाल रवाना हुई। उनके साथ सहायक महिला चालक मंजेश पाल भी थीं। डीआरएम मनोज शर्मा का कहना है कि आमतौर पर महिलाएं इंजन नहीं चलाती लेकिन मंडल में विभिन्न पदों पर काम कर रही महिलाओं के हौसले से यह सफलता मिली है।
जिम्मेदारी बड़ी है लेकिन हमें विश्वास है वे उम्मीदों पर खरी उतरेंगी। लोको नंबर 27260 की ट्रेन एनईबी को एंप्टीबॉक्स नाम देकर चलाया गया। ट्रायल के चलते मालगाड़ी को खाली रखा गया। किसी भार की बजाए रेलवे ने पहली मालगाड़ी बिना सामान के चलवाई। उज्जैन से रवाना होने वाली ट्रेन शाम 6 बजे भोपाल पहुंची। रतलाम मंडल के अफसर रास्तेभर निगरानी रखे थे।
लखनऊ से इलेक्ट्रॉनिक में डिप्लोमा
झांसी की रहने वाली संध्या ने लखनऊ से इलेक्ट्रॉनिक में डिप्लोमा किया है। दस साल पहले उनका विवाह उज्जैन निवासी हितेंद्र यादव के साथ हुआ था। हितेंद्र एसएफ के जवान हैं। संध्या के दो बच्चे हैं पार्थ और राम। पार्थ सेंट्रल स्कूल में सेकंड में पढ़ाई कर रहा है और राम प्ले स्कूल में है। स्टेशन की क्रू लॉबी में उनका जोरदार स्वागत किया। उन्होंने बताया बचपन से सपना था कि ट्रेन चालक बनूं। आज यह सपना सच हो रहा है। संध्या अब मुख्य रेल चालक हैं। उन्हें मालगाड़ी के संचालन का दायित्व दिया गया है।