ZENITH SUPER SPECIALIST HOSPITAL: गलत इलाज किया, 12 लाख का जुर्माना

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। अपेक्‍स उपभोक्‍ता आयेाग ने कोलकाता के ZENITH SUPER SPECIALIST HOSPITAL पर 12 लाख रुपए का जुर्माना ठोका है। मामला इलाज में लापरवाही का है। एक गर्भवती महिला के आॅपरेशन के दोरान की गई लापरवाही के कारण वो कमरे के नीचे आधे शरीर में लकवा से पीड़ित हो गई। डॉक्टरों ने सही इलाज नहीं किया और मामले को टालने की कोशिश की। 

राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोषण फोरम ने जेनिथ सुपर स्‍पेशलिस्‍ट हॉस्पिटल और इसके डॉक्‍टरों को मेडिकल लापरवाही का दोषी माना और राज्‍य आयोग में उनकी ओर से लगाई गई रिवीजन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उन्‍होंने इस केस में कोई राहत प्रदान नहीं की है। अपेक्‍स उपभोक्‍ता बेंच के पीठासीन अधिकारी जस्‍टिस अजीत भरीहोके ने कहा कि मेडिकल नियमों के अनुसार अस्‍पताल और इसके डॉक्‍टरों को एमआरआई रिपोर्ट मिलने के बाद तुरंत राहत के लिए कदम उठाना चाहिए था।

अस्‍पताल द्वारा जारी डिस्‍चार्ज सर्टिफिकेट से यह साफ होता है कि वे सर्जरी के बाद तत्‍काल राहत देने में नाकाम रहे और उन्‍होंने मरीज को किसी न्‍यूरोसर्जन के पास भी रेफर नहीं किया। चार दिनों की देरी से स्‍पष्‍ट है कि मरीज के इलाज में कोताही बरती गई है। 

तपन कार द्वारा दर्ज शिकायत के अनुसार उनकी पत्‍नी गोपा का 2010 में सी सेक्‍शन ऑपरेशन हुआ था। सर्जरी के बाद उन्‍होंने बेटे को जन्‍म दिया था और उनके शरीर का निचला हिस्‍सा लकवाग्रस्‍त हो गया था।शिकायत में कहा गया था कि सर्जरी के पहले मरीज को रीढ़ में एनेस्थिसिया दिया गया था। हालांकि सर्जरी के बाद मरीज को होश आया और उसने बताया कि उसके निचले हिस्‍से में कोई संवेदना नहीं है और उसे मल-मूल त्‍याग करते समय किसी प्रकार का सेंसेशन नहीं हो रहा है।

डॉक्‍टरों ने तत्‍काल एमआरआई कराना तय किया और एक स्‍पेशलिस्‍ट की सेवाएं लीं। तीन दिन बाद रिपोर्ट आई। आरोप है कि डॉक्‍टरों ने मरीज को आठ दिन तक अपने पास रखा और बाद में किसी दूसरे न्‍यूरोसाइंस इंस्‍टीट्यूट भेज दिया जहां और सर्जरी की गई। जब वहां के डॉक्‍टरों ने कहा कि अब मरीज की स्थिति में कोई सुधार नहीं होगा, तो पति ने शिकायत दर्ज करा दी। 

जिला फोरम ने शिकायत को माना और अस्‍पताल व इसके डॉक्‍टरों को मरीज के लिए 12 लाख रुपए हर्जाना चुकाने का आदेश दिया। कोर्ट ने पाया कि अस्‍पताल की लापरवाही से मरीज को हमेशा के लिए निशक्‍तता हुई और उसे कमर के नीचे संवेदनाशून्‍य होकर जीवन भर का मानसिक त्रास मिला है।

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