
जिस स्कूल के छात्र ने बिहार टॉप किया है उस स्कूल में एक भी प्रशिक्षित शिक्षक नहीं है। मात्र छह वर्ग कक्ष हैं। इनमें न तो दरवाजा है और न ही खिड़की। ना ही दीवार पर प्लास्टर है और न ही फर्श बनी हुई है। लाइब्रेरी में नाममात्र किताबें हैं। भवन की पक्की छत नहीं है। स्कूल में बिजली भी नहीं है। इस स्कूल के नाम की जानकारी जिला शिक्षा पदाधिकारी तक को भी नहीं थी।
हालांकि स्कूल प्रबंधन की राजनीतिक गलियारों में पहुंच होने की बात सामने आ रही है। शिक्षा विभाग अब इस संस्थान की जांच कराने की बात कर रहा है। गणेश गिरिडीह से इस साधनविहीन स्कूल में क्यों पढ़ने आया, यह शक पैदा कर रहा है। म्यूजिक का कोई सामान विद्यालय में नहीं है, लेकिन उसने म्यूजिक विषय से परीक्षा दी।
जब फॉर्म भरा तो विषय में होम साइंस, म्यूजिक, हिदी, अंग्रेजी, मनोविज्ञान लिखा था। बाद में होम साइंस के बदले सोशल साइंस ले लिया। फॉर्म में दाखिले की कोई तिथि नहीं है। स्थानीय पता भी नहीं है। इंटर परीक्षार्थी की उम्र अमूमन 17 -18 वर्ष होती है, लेकिन गणेश की उम्र 24 वर्ष है।