
दरअसल, किसान सुन्दरलाल को सरकारी रिकॉर्ड में मृत व बेऔलाद दर्शाए जाने के बाद उनकी जमीन पर उनके रिश्तेदारों ने जालसाजी से अपना नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज करा दिया था। जिसकी जानकारी किसान और उनके पुत्रों को नहीं थी। इसकी भनक लगने पर किसान और उसके परिवार ने लड़ाई शुरू की, जिसमें 13 साल उसकी जीत हुई है और राजस्व रिकॉर्ड में उनका नाम चढ़ाए जाने का आदेश न्यायाधीश ने दिया है।
पक्षकार अधिवक्ता तिरुमलेश शर्मा ने बताया कि उक्त मामले की जानकारी लगते ही विधिक कार्रवाई करते हुए राजस्व न्यायालय के समक्ष मामला प्रस्तुत किया गया था। वहीं राजस्व न्यायालय द्वारा समस्त साक्ष्यों व अधिवक्ता के तर्कों से संतुष्ट होते हुए किसान का नाम पुन: राजस्व अभिलेखों में दर्ज करने का आदेश पारित किया है। निर्णय के बाद किसान व उनके परिजनों में खासी प्रसन्नता है।
पक्षकार अधिवक्ता ने बताया कि सुन्दरलाल यादव की मृत्यु तीन माह पहले हुई है। मृत्यु प्रमाण-पत्र लगाने के बाद राजस्व न्यायालय द्वारा सुन्दर लाल के पक्ष में निर्णय आया। जब निर्णय मिला, उससे पहले ही सुन्दरलाल की मौत हो गई। हालांकि उनके परिजन कानूनी जीत के बाद काफी खुश हैं। गौरतलब है कि सुन्दरलाल को मृत बताकर 2004 में उसके रिश्तेदारों का नाम दर्ज कर लिया गया था। ऐसा ही एक प्रकरण बरघाट में पिछले वर्ष प्रकाश में आया था। जिसका संज्ञान जिला कलेक्टर ने लिया था।