नई दिल्ली। महाराष्ट्र से शुरू होकर मप्र में भड़के किसान आंदोलन का असर दिखने लगा है। यूपी और महाराष्ट्र के बाद अब कर्नाटक सरकार ने भी किसानों का कृषि ऋण माफ करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने बुधवार को विधानसभा में 50 हजार रुपये तक का फसल ऋण माफ करने का एलान किया।सहकारी बैंकों से कर्ज लेने वाले 22,27,506 किसानों को इससे लाभ होगा। इससे सरकारी खजाने पर 8,165 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। सरकार का फैसला विपक्ष द्वारा किसानों की परेशानी दूर करने तथा साल 2016 के सूखे से राहत प्रदान करने को लेकर ऋण माफी की मांग के बाद आया है।
कर्ज माफी का एलान करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के किसान मुश्किल में हैं। वे कृषि ऋण माफ करने की मांग कर रहे हैं। इसलिए हमने उन्हें राहत देने का निर्णय लिया है। हालांकि, इससे राज्य के खजाने पर असर पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि 20 जून तक सहकारी बैंकों से कर्ज लेने वाले राज्य के कुल 22,27,506 किसानों का ऋण माफ किया जाएगा। किसानों ने बैंकों से 10,736 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। इसमें में 8165 करोड़ का कर्ज माफ किया गया है।
अब केंद्र माफ करे कर्ज
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब केंद्र सरकार को किसानों को राहत देने के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने मांग की कि केंद्र राष्ट्रीयकृृत और ग्रामीण बैंकों से किसानों द्वारा लिए गए कर्ज माफ करे। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों द्वारा सहकारी बैंकों से सिर्फ 20 फीसद ऋण लिया जाता है। 80 फीसद कर्ज राष्ट्रीयकृत बैंकों व अन्य बैंकों से लिया जाता है।