कानपुर। एनडीए द्वारा रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने से उनके गांव परौंख में उत्सव सा माहौल है। गांव में सभी उनकी जीत के लिए दुआ कर रहे हैं। इन्हीं में से वो तीन शख्स विजय पाल सिंह, दीप सिंह गौर और गोविंद सिंह भी हैं, जिनका बचपन रामनाथ कोविंद के साथ बीता। किसी को रामनाथ के साथ छत पर सोना याद है तो किसी को आम बीनना। तीनों ही कहते हैं कि रामनाथ कोविंद ने ऊंचाईंयां तो बहुत हासिल कीं लेकिन जमीन से हमेशा जुड़े रहे। आज भी वह गांव को खूब प्यार करते हैं।
रामनाथ कोविंद के बचपन के दोस्त विजय पाल सिंह कहते हैं कि बचपन से ही उनको पढ़ने में काफी लगन थी। उनकी मां गुजर गई थीं। उनके बाबा ने उनके पीछे बहुत त्याग किया। इसके बाद वह अपनी बहन के यहां कानपुर में पढ़े, फिर वहां से दिल्ली चले गए। विजय पाल बताते हैं कि रामनाथ कोविंद को आम का बहुत शौक था। हम लोग साथ मिलकर आम तोड़ते बीनते थे। हम लोग छत पर साथ लेटते थे।
विजय पाल कहते हैं कि उन्होंने हमारे गांव के बहुत विकास किया है। उन्हें अपने गांव से इतना लगाव है कि राज्यपाल बनने के बाद भी वह बराबर आते रहते हैं। विजय पाल ने बताया कि एक बार उन्होंने खुद ही रामनाथ से कह दिया कि इस जगह तुम्हारा नरा गड़ा है, इस जगह के लिए क्या कर रहे हो? उसके बाद उन्होंने गांव में खूब काम कराया।
एक और मित्र दीप सिंह गौर कहते हैं कि शिखर पर पहुंचने के बाद भी गांव के लिए प्यार उनका कम नहीं हुआ। वह लगातार यहां काम कराते रहते थे। मिलन केंद्र, सौर ऊर्जा का प्लांट उन्हीं की देन है। अभी आए थे तो बस स्टॉप की तैयारी करवा रहे थे।
दीप सिंह कहते हैं कि रामनाथ कोविंद वचन के बहुत ही पक्के हैं। उन्होंने परिवार को हमेशा परिवार ही समझा है। रामनाथ कोविंद के एक अन्य दोस्त गोविन्द सिंह हैं। गोविंद कहते हैं कि रामनाथ कोविंद ने गांव के लिए बहुत कुछ किया। गांव भी उनसे बहुत प्यार करता है। वह कहते हैं कि राम नाथ कोविंद जब राज्यपाल हुए तो हजारों की भीड़ गांव में उनके स्वागत के लिए इकट्ठा हो गई थी। अब राष्ट्रपति बन जाएंगे तो पूरा क्षेत्र ही जुट जाएगा।