
करीब तीन महीने तक गांव की करीब 400 आबादी पानी के लिए परेशान रहीं। गर्मी में जल संकट बढ़ा तो ग्रामीणों ने सीएम हेल्पलाइन में शिकायत कर दी। हैरानी की बात है कि सीएम हेल्पलाइन में शिकायत करने के बाद पानी का संकट दूर करना तो दूर उल्टा पीएचई वाले नल-जल योजना के तहत की गई बोरिंग का मोटर पंप ही निकाल कर ले गए। प्रशासनिक तंत्र के रवैए से खफा ग्रामीणों ने अपने से चंदा किया और गांव से करीब एक किमी दूर नर्मदा नदी से पाइप लाइन डाली और उसमें सबमर्शिबल पंप लगाकर अस्थाई रूप से गांव से पानी का संकट दूर किया। अब बरसात आने वाली है ऐसे में ग्रामीणों को एक बार फिर जल संकट की समस्या सताने लगी है।
पहले कहा मोटर अब कह रहे बोरिंग धंस गई
गांव के गजराज पटेल व अन्य ग्रामीणों ने बताया कि गांव में नल-जल योजना के तहत करीब एक साल पहले बोरिंग कराई गई थी। पानी सप्लाई करने गांव में पाइप लाइन भी बिछाई गई थी। लेकिन बोरिंग 4 से 5 महीने चलने के बाद ही बंद हो गई। गर्मी में जल संकट बढ़ा तो पहले 26 मार्च 2017 को फिर अप्रैल माह में सीएम हेल्पलाइन में जल संकट की शिकायत की। शिकायत के बाद पीएचई वाले पहुंचे और मोटर पंप खराब होने की बात कहकर मोटर ही साथ ले गए। सरपंच-सचिव ने पहले कहा कि मोटर बनने के लिए निकाली गई है। कुछ दिन बाद ये कहकर पाइपलाइन भी उखाड़ ले गए कि बोरिंग धंस गई है। नए सिरे से बोरिंग कराकर नई मोटर और पाइप लाइन लगाई जाएगी लेकिन अब तक ना तो मोटर आई है ना पाइप।