नई दिल्ली। 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों में भत्तों को लेकर जारी संशय जल्द खत्म हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 28 जून को होनी वाले कैबिनेट मीटिंग में इस पर फैसला लिया जा सकता है। सरकार की ओर से इस पर मुहर लगने से 47 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को फायदा मिलेगा। जी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक कैबिनेट एचआरए भत्ते की दर को एके माथुर पैनल की सिफारिशों और छठवी सीपीसी के बीच तय कर सकता है। एचआरए भत्ता 27 प्रतिशत रखे जानी की संभावना है। रिपोर्ट के मुताबिक 7वें वेतन आयोग की सिफारिश से ज्यादा भत्ता सरकारी कर्मचारियों को मिल सकता है।
इससे पहले वित्त सचिव अशोक लवासा की अध्यक्षता में बनी लवासा कमेटी ने वित्त मंत्री को भत्तों के सिफारिश के संबंध में अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के बराबर भत्ता देने के लिए कहा है। छठे वेतन आयोग में एचआरए (HRA) की दर 30, 20 और 10 फीसदी है। जबकि सातवें वेतन आयोग के मुताबिक एचआरए 24 पर्सेंट, 16 पर्सेंट और 8 पर्सेंट तय किया गया है। एचआरए बढ़ाने के साथ ही पैनल ने कर्मचारियों के ट्रांसपोर्ट भत्तों पर भी नरम रुख दिखाया है। समिति ने 56 भत्तों को खत्म करने की सिफारिश की और अन्य 36 भत्तों को दूसरे भत्तों के साथ मर्ज करने की बात कही है। वर्तमान में 6वें वेतन आयोग के तहत सरकारी कर्मचारियों को 196 भत्ते मिलते हैं।
पीटीआई के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने अपने एक बयान में इस बात की पुष्टि की है कि कुछ भत्ते में संशोधनों का सुझाव दिया गया है, जो कि सभी कर्मचारियों पर लागू होंगे। इसके अलावा विशिष्ट कर्मचारी श्रेणियां जैसे कि रेलवेमैन, पोस्टल कर्मचारी, साइंटिस्टों, डिफेंस फोर्स के कर्मियों, डॉक्टर, नर्स इत्यादि के लिए कुछ अन्य भत्तों की सिफारिश की गई है। लवासा कमेटी की रिपोर्ट का व्यय विभाग (Department of Expenditure) द्वारा आंकलन किया जा रहा है। कैबिनट के अप्रूवल के लिए भेजने से पहले इस रिपोर्ट को 7वीं सीपीसी की सिफारिशों की स्क्रीनिंग के लिए बनी सचिवों के अधिकार प्राप्त समिति के भेजा जाएगा। जिसके बाद एक प्रस्ताव बनाकर कैबिनेट के समक्ष पेश किया जाएगा।
बता दें कि जब केन्द्र सरकार ने जून 2016 में सभी सिविलियन कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग के मुताबिक 1 जनवरी 2016 से नए वेतनमान लागू करने का फैसला किया था तब सेना के तीनों प्रमुखों ने वेतन आयोग की सिफारिशों पर सैन्य संगठनों द्वारा उठाई गई विसंगतियों को दूर करने तक इसे स्थगित रखने का अनुरोध सरकार से किया था। सैन्य संगठनों ने नॉन फंक्शनल अपग्रेड, मिलिट्री सर्विस पे, कॉमन पे मैट्रिक्स और विकलांगता भत्ता से संबंधित सिफारिशों पर आपत्ति जताई थी।