ललित मुदगल/शिवपुरी। यह चमत्कार है या किसी मानव द्वारा रचित घटनाक्रम यह तो विशेषज्ञ ही बता पाएंगे परंतु खबर आ रही है कि खनियाधाना क्षेत्र के एक गांव में वर्षों पुराने बरगद के पेड़ की जड़ों में फंसी शनिदेव की प्रतिमा प्राप्त हुई है। करीब आधा फीट ऊंची यह प्रतिमा पत्थर की नहीं है परंतु लोहे की भी नहीं है। किस धातु से बनी है, ग्रामीण समझ नहीं पा रहे हैं। कहा जा रहा है कि बरगद का पेड़ रात में अपने आप गिर गया था। जब उसे काटकर साफ किया जा रहा था तभी यह प्रतिमा प्राप्त हुई। संभव है सैंकड़ों साल पहले यहां प्रतिमा स्थापित की गई हो, कालांतर में बरगद बड़ा होता चला गया और प्रतिमा उसकी जड़ों में समा गई।
जानकारी के अनुसार जिले के खनियाधानां नगर से मात्र 3 किमी की दूरी पर पनिहार गांव में एक वर्षो पुराना बरगद का पेड़ है। बीती रात यहां ना तो आंधी आई ना ही मौसम में कोई बदलाव हुआ परंतु पेड़ अचानक 2 हिस्सों में बंटकर गिर गया। इसका एक हिस्सा आम रास्ते पर जाकर गिरा जिससे मार्ग अवरुद्ध हो गया। स्थानीय निवासी शिवराज यादव शिक्षक, बुंदेला यादव और रमेश प्रजापति ने पेड़ को काटकर रास्ता साफ करने की कोशिश की तभी रमेश प्रजापति की कुल्हाड़ी में असामान्य रुकावट आई। जैसे कुल्हाड़ी किसी पत्थर पर जा लगी हो।
रमेश ने हल्के हाथ से उस जगह को साफ किया। देखा तो एक प्रतिमा पेड़ की जड़ों में फंसी हुई थी। बड़ी ही सावाधानी से इस प्रतिमा को इस पेड़ के तने से निकाला गया। यह प्रतिमा शनिदेव की है। इसकी ऊंचाई लगभग आधा फुट है। जिस दिन यह प्रतिमा मिली वह हिंदू पंचांग के अनुसार शनिश्चरी अमवस्या का दिन था। अत: इसे प्रतिमा का प्राकट्य दिवस माना गया और लोगों की भीड़ लगना शुरू हो गई। समाचार लिखे जाने तक वह प्रतिमा वहीं रखी हुई है और भगवान शनिदेव की पूजा अर्चना जारी है। अभी यह स्पष्ट नही हो सका है कि यह प्रतिमा किस धातु की है।