भोपाल। आम आदमी पार्टी ने राजधानी में कलेक्टरों को दिए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई के अधिकार का विरोध किया है। आप का कहना है कि यह लोकतंत्र को कुचलने की साजिश है। आप कार्यकर्ताओं ने हाथ-पैर में जंजीर और मुंह पर काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराया। हालांकि इससे पहले रविवार को मप्र शासन के गृहविभाग की ओर से स्पष्ट किया जा चुका है कि यह एक रुटीन नोटिफिकेशन है। किसी भी कलेक्टर को व्यापारियों या सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले संगठन के नेताओं के खिलाफ रासुका के अधिकार नहीं दिए गए हैं।
आम आदमी पार्टी का आरोप है कि इस तरीके का निर्णय न केवल आपातकाल की स्थिति पैदा करके, प्रदेश में चल रहे किसान और व्यापारी आंदोलनों को कुचलने की साजिश है, बल्कि लोकतंत्र की हत्या करने की भी कोशिश है। विरोध करते समय आप कार्यकर्ता हाथ-पैर में जंजीर बांधकर और मुंह पर काली पट्टी बांधे थे। पार्टी ने चेतावनी दी है कि सरकार जब तक इस आदेश को निरस्त नहीं करती, तब तक आप का विरोध जारी रहेगा।
गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव केके सिंह ने रविवार को बयान जारी कर कहा कि गृह विभाग ने व्यापारियों/कर्मचारियों/राजनैतिक प्रदर्शनकारियों या किसानों पर रासुका लगाने का नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है। हर तीन महीने में कलेक्टर्स को रासुका लगाने की शक्तियां दी जाती हैं। एक जुलाई से 30 सितंबर 2017 तक कलेक्टर को यह अधिकार दिए जाते हैं। यह प्रक्रिया हर तीन महीने में अपनाई जाती है। सरकार द्वारा जारी किया गया नोटिफिकेशन उसी प्रक्रिया का हिस्सा था।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में भ्रम की स्थिति पैदा की जा रही है कि रासुका का उपयोग व्यापारियों और किसानों के विरुद्ध किया जाएगा। सिंह ने कहा कि जिलों की स्थानीय सीमाओं के भीतर सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने वाले और लोक व्यवस्था व राज्य की सुरक्षा को खतरे में डालने वाले लोगों के लिए रासुका का उपयोग किया जाता है।