
श्री यादव ने कहा कि यूं भी गोडसेवादी विचारधारा से महात्मा गांधी के व्यक्तित्व, चरित्र और संस्कारों का अनुसरण संभव ही नहीं है, उन्होंने मुख्यमंत्री से पूछा है कि उनसे किस किसान ने कहा कि वे उपवास समाप्त करें? क्या मात्र 48 घंटों में ही किसानों की समस्या हल हो गई ? क्या 28 घंटों में ही प्रदेश में शांति की बहाली हो गई है?
इस सत्याग्रह को प्रारंभ करने के पूर्व मुख्यमंत्रीजी ने बढ़चढ़कर कहा था कि अब सरकार सचिवालय से नहीं सड़कों व मैदानों में चलेगी, इस बड़बोडले सफर के परखच्चे एक ही दिन में कैसे उड़ गए ? मात्र 28 घंटों के इस नाटकीय प्रहसन में हुए लाखों रूपयों की फिजूलखर्ची का वहन कौन करेगा ?
श्री यादव ने इस राजनैतिक नौटंकी को ”मुख्यमंत्री का उपवास बनाम किसानों का उपहास“ बताते हुए कहा कि इस उपवास की समाप्ति की स्क्रिप्ट रविवार की सुबह ही भाजपा मुख्यालय में केन्द्रीय मंत्री सर्वश्री नरेन्द्रसिंह तोमर, थांवरचंद गेहलोत, भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री नंदकुमारसिंह चौहान, राज्यसभा सदस्य प्रभात झा व संसदीय कार्यमंत्री श्री नरोत्तम मिश्रा ने पहले ही तैयार कर ली थी जिसका दुःखद और आश्चर्यजनक अंत इस स्वरूप में हुआ है।