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इसके अनुसार योजनांतर्गत महिला स्वास्थ्य शिविर अथवा रोशनी क्लीनिक में चिन्हित दंपति का जिला अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा परीक्षण और पुष्टि के बाद राज्य शासन द्वारा प्राधिकृत चिन्हित निजि अस्पताल में रेफर कर प्राक्कलन प्राप्त किया जाता है लेकिन टेस्ट टयूब बेबी सेंटर भोपाल अस्पताल के जनसंपर्क अधिकारी रामखेलावन तिवारी ने सीएमएचओ कार्यालय बालाघाट से बिना अनुमति प्राप्त किये ही जिले के विकासखण्ड स्तर पर शिविर आयोजित कर दिये।
आशा कार्यकर्ता से संपर्क कर शिविर में किसी भी स्त्री रोग विशेषज्ञ के परीक्षण के बिना आवश्यक रक्त व पेशाब के पैथलॉजी जांच के बिना दंपतियों को प्राक्कलन जारी किया है। साथ ही पात्र, अपात्र दंपतियों को योजना सीमित दिनों की बताकर तत्काल स्वीकृति प्राप्त करने लिये जिला मुख्यालय भेजा गया। इससे जिला अस्पताल बालाघाट में अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होने पर जिला प्रशासन के समक्ष व जनसामान्य में विभाग की छवि धूमिल हुई है।
बताया गया है कि टेस्ट टयूब बेबी सेंटर भोपाल अस्पताल द्वारा शिविर में दंपतियों को डॉ.मोनिका सिंह व डॉ.रनधीर सिंह के हस्ताक्षर से प्राक्कलन जारी किया गया है जबकि उक्त दोनों डाक्टर उक्त शिविर में उपस्थित ही नहीं थे। भोपाल समाचार डॉट कॉम से बातचीत के दौरान डॉ रनधीर सिंह ने स्वीकार किया है कि वो शिविर वाले दिन बालाघाट में नहीं थे।
पुष्टिकरण के बिना ही दंपतियों को डॉ.मोनिका व डॉ.रनधीर के पूर्व हस्ताक्षर युक्त लेटरहेड पर प्राक्कलन जारी कर गुमराह किया गया। राज्य शासन द्वारा समाप्त प्रदान की गई मान्यता को समाप्त करने मध्यप्रदेश चिकित्सा शिक्षा विभाग व संचालनालय स्वास्थ्य सेवायें को प्रस्ताव भेजने की बात कही गई है।
डॉ रणवीर सिंह ने भोपाल समाचार ने बताया कि हमने सीएमएचओ के मौखिक आदेश पर शिविर लगाया है। मेरे पास फोन रिकॉर्ड भी है। हमने इसके अलावा कई शहरों में ऐसे शिविर लगाए हैं। यह हर बुधवार को लगता है। शासन के आदेश हैं। इसमें नए आदेश की जरूरत ही नहीं है।