नई दिल्ली। केंद्र सरकार के अधीन काम कर रहे करीब 50 लाख कर्मचारियों में से 67000 कर्मचारियों का रिकॉर्ड इन दिनों एक विशेष जांच प्रक्रिया से गुजर रहा है। इन कर्मचारियों में 25000 नौकरशाह भी शामिल हैं। आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और आईआरएस सहित तमाम भारतीय सेवाओं के अफसरों को जांच की जद में लिया गया है। जो अधिकारी मोदी के पैमाने पर फिट नहीं पाए जाएंगे उनके खिलाफ कड़ी और बड़ी कार्रवाईयां हो सकतीं हैं।
केंद्र सरकार ने आईएएस और आईपीएस अधिकारियों समेत लगभग 67,000 कर्मचारियों के सेवा रिकॉर्ड की समीक्षा शुरू की है। ऐसा खराब प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों की पहचान करने के लिए किया जा रहा है। यह समीक्षा प्रक्रिया सेवा और शासन प्रणाली को और बेहतर करने के सरकारी प्रयासों का हिस्सा है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप आचार संहिता का पालन नहीं करने वाले लोग दंड के अधिकारी हो सकते हैं।
उन्होंने कहा, 'केंद्र सरकार के लगभग 67,000 कर्मचारियों के सेवा रिकॉर्ड की समीक्षा की जा रही है, इसके जरिए खराब प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों की पहचान होगी। इनमें से लगभग 25,000 कर्मचारी अखिल भारतीय तथा समूह-ए सेवाओं से हैं जिनमें भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय राजस्व सेवा आदि आते हैं।
कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि एक ओर सरकार का रूख उच्चस्तरीय दक्षता और भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने का है जबकि दूसरी ओर सरकार ईमानदार अधिकारियों के लिए कामकाज के लिए अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करना चाहती है। ताजे आंकड़ों के मुताबिक केंद्र सरकार के कुल 48.85 लाख कर्मचारी हैं।