नई दिल्ली। बिहार की महागठबंधन सरकार अब खतरे में आ गई है। गठबंधन टूटने वाला है। नीतीश कुमार को इसकी भनक पहले ही लग गई थी इसलिए उन्होंने मोदी से दोस्ती बढ़ा ली। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार एनडीए के समर्थन से नई सरकार बनाएंगे। यह भी संभव है कि भाजपा उन्हे सपोर्ट ना करे और उपचुनाव हो जाएं। फिलहाल बिहार की सरकार संकट में है।
सोनिया-लालू-नीतीश के अलावा कोई बड़ा नेता नहीं
रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर नीतीश कुमार की तरफ से अपना समर्थन देने के बाद जिस तरह राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं ने उन्हें आड़े हाथों लेते हुए बयानों की बौछार कर दी, उससे तिलमिलाए जेडीयू को भले ही लालू यादव की तरफ से अपने पार्टी नेताओं को नसीहत देने के बाद राहत मिली हो। लेकिन हकीकत ये है कि अगर अब इससे ज्यादा कुछ भी हुआ तो आर-पार हो जाएगा।
जेडीयू नेता अमित आलोक ने बताया कि फिलहाल पूरे मामले से पटाक्षेप हो गया है। महागठबंधन के शीर्ष नेतृत्व ने अपने पार्टी नेताओं को बयानबाजी न करने की सख्त हिदायत दी है। लेकिन, वह मानते हैं कि राज्य के मुख्यमंत्री और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ ऐसी बयानबाजी ठीक नहीं है। अमित आलोक ने उम्मीद जाहिर करते हुए कहा कि अब आगे कोई ऐसी बयानबाजी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि आज बिहार में महागठबंधन में तीन ही बड़े नेता हैं, जिनके बयान का कुछ मतलब है और वो हैं- सोनिया गांधी, नीतीश कुमार और लालू यादव। बाकी किसी के बयान का कोई मतलब नहीं है।
चाहे जितनी भी आफत आए हम पीछे नहीं हटेंगे: नीतीश
जबकि, पिछले कई दिनों से महागठबंधन में जारी रस्साकशी के बाद राजद की तरफ से अपने एक नेता के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के बाद खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जेडीयू के अन्य नेताओं ने मीडिया के सामने आकर उन अटकलों पर विराम लगाने की कोशिश की है, जिसमें महागठबंधन के भविष्य को लेकर सवाल उठाए जा रहे थे।
राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को जदयू के समर्थन देने पर महागठबंधन में मचे सियासी घमासान पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दो टूक लहजे में कहा, हमने जनता की सेवा का कमिटमेंट किया है। चाहे जितनी आफत आए हम पीछे नहीं हटेंगे। बुधवार को 'जमायत ए हिंद' की ओर से अंजुमन इस्लामिया हॉल में आयोजित ईद मिलन समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि हम समाज को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। यह काम अकेले संभव नहीं है। तो वहीं, केसी त्यागी ने बताया कि बिहार में हमारा गठबंधन काफी मजबूत है। राष्ट्रपति चुनाव पर अलग विचारों का वहां की सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक उनके इस बयान को संदेह भरी निगाहों से देख रहे हैं।
इस गठबंधन का टूटना तय है
दरअसल, बिहार में महागठबंधन के अंदर जो बवाल मचा है उस पर भले ही कुछ दिनों के लिए विराम लग जाए लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह एक अवसरवादिता का गठबंधन है, जिसका टूटना करीब तय है। पूर्व सांसद और वरिष्ठ पत्रकार शाहिद सिद्दीकी इस गठबंधन को ज्यादा दिनों का मेहमान नहीं मान रहे हैं। शाहिद सिद्दीकी ने बताया कि नीतीश कुमार हमेशा से ही भारतीय जनता पार्टी के लिए खिड़की खोल रखी थी जो अब दरवाजे बन गए। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार आज दोनों तरफ से खेल खेल रहे हैं। उन्होंने बताया कि नीतीश कुमार ने 2019 के चुनाव को लेकर भाजपा को साफ संकेत दे दिया है, तो वहीं दूसरी तरफ लालू यादव पर वह डंडा भी चलवा रहे हैं, ताकि लालू उन पर किसी तरह का दबाव न डालें। उसकी वजह है पिछले दिनों लगातार लालू यादव की तरफ से नीतीश पर दबाव डालने की कोशिश।
शाहिद सिद्दीकी ने आगे बताया कि आज जिस रास्ते पर यह महागठबंधन चल रहा है उसमें यह ज्यादा दिनों का मेहमान नहीं है। अगर कुछ दिन चलेगा भी तो ठीक उसी तरह जैसे महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा का गठबंधन चल रहा है, जिसमें एक-दूसरे को खरी-खोटी सुनाएंगे और गठबंधन में भी बने रहेंगे। लेकिन, 2019 से पहले इस महागठबंधन टूट तय है।